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"मेरे बेटे को फर्जी केस में फंसाकर उसका एनकाउंटर कर दिया. उसका पूरा करियर तबाह कर दिया. 2 साल तक पुलिसवालों के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए भटका. लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई. अब कोर्ट के आदेश पर 12 पुलिसवालों पर केस दर्ज हुआ."
यह कहना है मथुरा के रहने वाले तरुण गौतम का. इनके बेटे सोमेश गौतम का 6 सितंबर 2022 को एनकाउंटर हुआ था. पुलिस ने पैर में गोली मारी थी. अब फर्जी एनकाउंटर के आरोप में नोएडा के जेवर थाना के तत्कालीन SHO समेत 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज हुई है. सोमेश गौतम बीटेक की तैयारी कर रहे थे फिर कैसे पुलिस ने उनपर केस दर्ज किया? क्या हुआ कि बात एनकाउंटर तक पहुंच गई? सोमेश के पिता और वकील ने कैसे 2 साल तक संघर्ष किया? एक-एक कर पूरी कहानी बताते हैं.
बिना रजिस्ट्रेशन की गाड़ियों में सादी वर्दी में आए थे 10-12 पुलिसकर्मी
जेवर थाने में 12 पुलिसवालों के खिलाफ FIR तरुण गौतम ने दर्ज कराई है. FIR के मुताबिक, चार सितंबर 2022 की रात करीब 8:45 बजे उनके घर पर बिना रजिस्ट्रेशन की दो गाड़ियां आकर रुकीं, जिनमें सादी वर्दी में 10-12 लोग सवार थे.
द क्विंट से बात करते हुए तरुण गौतम ने बताया, इन लोगों ने खुद को पुलिसकर्मी बताया और उनके बेटे सोमेश गौतम के बारे में पूछा. जब उन्होंने बताया कि बेटा दिल्ली में कोचिंग कर रहा है, तब भी पुलिस विश्वास न करते हुए घर की तलाशी ली और जबरन घर में तोड़फोड़ कर 22 हजार रुपये नकदी ले ली."
अगली सुबह पुलिस दिल्ली पहुंची, बेटे को उसके कमरे से उठा लिया
तरुण गौतम ने बताया, पुलिस ने उन्हें जबरन गाड़ी में डालकर अज्ञात स्थान पर ले जाकर उनकी पिटाई की गई. अगले दिन सुबह उन्हें बेटे के पास दिल्ली ले जाया गया. फिर पुलिस ने बेटे सोमेश को पकड़कर उनके साथ थाना जेवर ले गई. वहां सोमेश को टॉर्चर कर झूठा अपराध कबूल करवाने के लिए दबाव बनाया. जिसके बाद मुठभेड़ दिखाने के लिए कथित रूप से फर्जी एनकाउंटर में घायल कर दिया.
पैर में गोली लगने के बाद घायल सोमेश गौतम. मामला साल 2022 का है.
तरुण के वकील सी पी गौतम ने द क्विंट को बताया,
सी पी गौतम आगे कहते हैं, "निमका गांव में किसी का मर्डर हुआ था. उसके बाद 4 तारीख की शाम से ये सब शुरू हुआ. हमें तो आज तक पता नहीं चल पाया है कि पुलिस ने किस आधार पर सोमेश को मुजरिम माना था. आईपीसी की धारा 302 के तहत उस समय सोमेश को मुजरिम बनाकर कोर्ट में पेश किया गया था. फिलहाल सोमेश जमानत पर बाहर है और सारे केस का ट्रायल चल रहा है."
9 अप्रैल 2025 को पुलिस आयुक्त गौतम बुद्ध नगर ने ट्वीट कर बताया कि थाना जेवर पर एक पीड़ित ने अपने भाई नागेश उर्फ बिलोरी की हत्या का मामला दर्ज कराया. विवेचना में अभियुक्त सोमेश गौतम उर्फ सीटू का नाम सामने आया. सोमेश और उसके साथी प्रवीन को चोरी की मोटरसाइकिल के साथ गिरफ्तार किया गया था.
ट्वीट में आगे लिखा है, "पूछताछ में सोमेश ने 15 लाख रुपये लेकर हत्या में शामिल होने की बात बताई. उनकी निशानदेही पर आलाकत्ल बरामदगी के दौरान दोनों आरोपियों ने पुलिस पर जान से मारने की नियत से फायरिंग कर दी जिसमें आत्मरक्षार्थ पुलिस मुठभेड़ में दोनो घायल हो गये, जिसके संबंध में थाना जेवर पर अभियोग पंजीकृत किया गया."
"झूठे मुकदमे और पुलिस की धमकी"
तरुण गौतम ने FIR में पुलिस पर आरोप लगाया है कि पुलिस ने मुझे धमकी दी कि अगर तुमने इस घटना के बारे में कोई शिकायत की, तो तेरे इकलौते बेटे की गोली मारकर हत्या कर देंगे.
जमानत पर रिहा होने के बाद, सोमेश पैर के इलाज के लिए सफदरजंग अस्पताल में भर्ती, साथ में उनके पिता तरुण गौतम- 2022
पुलिस के खिलाफ 3 साल बाद क्यों दर्ज हुई FIR?
तरुण गौतम ने कई बार पुलिस और उच्च अधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अंततः उन्होंने अदालत का सहारा लिया.
वकील सी पी गौतम ने बताया,
FIR की प्रमुख धाराएं और आरोपी पुलिसकर्मी
8 अप्रैल 2025 को जेवर थाने में दर्ज FIR में आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) समेत 11 धाराएं लगाई गई हैं. आरोपियों में शामिल हैं: तत्कालीन SHO अंजनी कुमार सिंह, एसआई राकेश बाबू, एसआई अनिरुद्ध यादव, एसआई शरद यादव, एसआई चांदवीर सिंह, एसआई सन्नी कुमार, एसआई नीलकांत सिंह, कांस्टेबल सोहित कुमार, कांस्टेबल भूरी सिंह, कांस्टेबल जय प्रकाश, कांस्टेबल मनोज कुमार और कांस्टेबल छीतर सिंह.
FIR को लेकर पुलिस आयुक्त गौतम बुद्ध नगर ने ट्वीट कर बताया "अभियुक्त के पिता ने माननीय न्यायालय, दिल्ली में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिसे खारिज कर दिया गया. अब माननीय न्यायालय, गौतमबुद्धनगर के आदेश अंतर्गत धारा 156 (3) सीआरपीसी के अनुपालन में थाना जेवर पर अभियोग पंजीकृत किया गया है. "
'झूठे FIR की वजह से नहीं मिल रही जॉब'
सोमेश के पिता ने बताया कि पैर में गोली लगने के कारण उसकी दौड़ने और खेलने की क्षमता खत्म हो गई है. केस के चक्कर में घर की आर्थिक हालत खराब हो गई. सोमेश अभी एक छोटी कंपनी में प्राइवेट जॉब कर रहा है, कोई बड़ी कंपनी उसे जॉब देने को तैयार नहीं है, क्योंकि पुलिस वेरीफिकेशन निगेटिव हो जाता है. कोई सरकारी नौकरी में अप्लाई कर नहीं सकता है.
तरुण आगे कहते हैं, "सोमेश IIT दिल्ली से डिप्लोमा करना चाह रहा था लेकिन पुलिस वेरीफिकेशन की वजह से एडमिशन नहीं हुआ."
तरुण गौतम का कहना है कि उनका परिवार इस घटना के बाद से डरा और सहमा हुआ है. तरुण ने कहा, "पुलिस ने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैंने कोई शिकायत की, तो मेरे बेटे की हत्या कर दी जाएगी. FIR दर्ज होने के बाद भी हमें न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है."
(इनपुट- सुनील गौतम)