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तालिबान (Taliban) को पूरी तरह से अफगानिस्तान(Afghanistan) पर कब्जा किए करीब डेढ़ महीने हो चुके हैं और देश में चीजों की कीमतें बढ़ना शुरू हो गई हैं. अब अफगानों को नौकरियों और संघर्षरत व्यवसायों के अभाव में महंगाई से लड़ना होगा.
अफगानिस्तान के एक विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर ने द क्विंट को बताया, 'मुझे तीन महीने से मेरा वेतन नहीं मिला है और अब अपने परिवार के लिए आवश्यक सामान नहीं खरीद पा रहा हूं. मैं सिर्फ उन लोगों से उधार ले रहा हूं जिन्हें मैं जानता हूं. लेकिन वो कब तक मेरी मदद कर सकते हैं?
अफगानिस्तान में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं.
Illustration: Arnica Kala/The Quint
तब से मैंने यंहा लोगों को फल, मछली या मांस खरीदते नहीं देखता क्योंकि, हमारे लिए, वो अब बहुत मंहगे है. हम बस जिंदा रहने की कोशिश कर रहे हैं! आधी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है. यहां हजारों परिवारों के पास खाने को कुछ नहीं है. वो अपने बच्चों के लिए कम से कम दैनिक भोजन प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं. यहां तक कि बैंकिंग सिस्टम भी चरमराने के करीब है.
अफगानिस्तान में लोग अपने दैनिक भोजन की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं.
(Illustration: Arnica Kala/The Quint)
प्रोफेसर ने बताया कि, हमारे जीवन में इन सभी समस्याओं के साथ-साथ प्रतिदिन नए-नए प्रतिबंध भी आते हैं. महिलाओं पर जबरन बुर्का थोपने से लेकर दाढ़ी काटने पर पुरुषों पर प्रतिबंध लगाने तक, तालिबान ने सूक्ष्म स्तर पर हमारे जीवन को नियंत्रित करने के लिए हर संभव कोशिश की है.
पिछले कुछ दिनों में, कंधार और हेलमंद प्रांतों में, तालिबान ने नागरिकों के लिए कुछ घोषणाएं करते हुए फरमान सुनाया कि, लोगों को अपनी दाढ़ी नहीं काटनी चाहिए और उन्होंने नाई को सूचित किया है कि अगर उनमें से कोई भी दाढ़ी काटता है, तो उन्हें दंडित किया जाएगा.
तालिबान ने अफगानिस्तान के हेलमंद में नाइयों को नो-शेव आदेश जारी किया.
(Illustration: Arnica Kala/The Quint)
कई जगहों पर तो कई बार ये छोटी-छोटी बातों पर नागरिकों को प्रताड़ित करते हैं. पहले हमें अपने देश से कई उम्मीदें थीं. तालिबान की ये हरकतें हमें निराश करती हैं.
(कहानी के लेखक अफगानिस्तान के एक विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं. सुरक्षा कारणों से उनकी पहचान छुपाई गई है.)