Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Hindi Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019"मेरा टाइम खत्म",भारत की 'शहजादी' को UAE में हुई फांसी-परिवार ने उठाए गंभीर सवाल

"मेरा टाइम खत्म",भारत की 'शहजादी' को UAE में हुई फांसी-परिवार ने उठाए गंभीर सवाल

अबू धाबी में चार महीने के बच्चे की हत्या के मामले में यूपी की शहजादी खान को 15 फरवरी को फांसी दी गई.

मोहन कुमार
न्यूज
Updated:
<div class="paragraphs"><p>अबू धाबी में चार महीने के बच्चे की हत्या के मामले में यूपी की शहजादी खान को 15 फरवरी को फांसी दी गई.</p></div>
i

अबू धाबी में चार महीने के बच्चे की हत्या के मामले में यूपी की शहजादी खान को 15 फरवरी को फांसी दी गई.

(फोटो: द क्विंट)

advertisement

"मेरा टाइम खत्म हो गया पापा. टाइम नहीं है हमारे पास. बस टाइम खत्म हो गया है. पता नहीं फोन कर पाएंगे या नहीं."

ये उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की रहने वाली 33 वर्षीय शहजादी खान के आखिरी शब्द थे. अबू धाबी में चार महीने के बच्चे की हत्या के मामले में उन्हें 15 फरवरी को फांसी दी गई. फांसी की सजा से पहले 14 तारीख की रात को शहजादी ने आखिरी बार अपने परिवार से बात की थी. ये बातचीत करीब 10 मिनट तक चली थी.

आधिकारिक रूप से शहजादी की मौत की खबर उनके परिवार को करीब 17 दिन बाद सोमवार, 3 मार्च को मिली.

दरअसल, शहजादी की कोई जानकारी नहीं मिलने के बाद उनके पिता शब्बीर खान ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 24 फरवरी को उन्होंने एक याचिका दायर की थी. जिसपर सोमवार, 3 मार्च को सुनवाई हुई. इस दौरान विदेश मंत्रालय ने कोर्ट में जानकारी दी कि 15 फरवरी को शहजादी को फंसी दी गई. बुधवार, 5 फरवरी को शहजादी का अंतिम संस्कार किया जाएगा.

"जब हम कोर्ट गए तब हमें बताया"

द क्विंट से बातचीत में शहजादी के पिता शब्बीर खान बताते हैं, "जेल से फोन आया करता था. उसे वहां कोई तकलीफ नहीं थी. अपनी मां से कहती थी कि उसे खाने में वहां रोटी नहीं मिलती थी. रोज चिकन और चावल मिलता था."

"14 फरवरी को हमारी आखिरी बातचीत हुई थी. मेरी लड़की ने बताया था कि अब उसके पास टाइम नहीं है और वो फोन नहीं कर पाएगी. 15 फरवरी को ही फांसी दे दी गई. भारतीय दूतावास और भारत सरकार ने ये बात हमसे छिपाई. जब हम हाईकोर्ट गए तो फिर सरकार ने इसकी जानकारी दी.

शब्बीर कहते हैं, "पिछले ढाई साल से मेरी बेटी जेल में बंद थी. 3 मार्च को पहली बार भारतीय दूतावास से हमें फोन आया था. उन्होंने हमें बताया कि फांसी हो गई है. हमें वहां बुलाया गया है. लेकिन इतनी जल्दी हम कैसे वहां जाएं. न पासपोर्ट है और न ही वीजा."

शहजादी के परिवार ने केंद्र सरकार से उनका पार्थिव शरीर वापस भारत लाने की मांग की थी. हालांकि, विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने द क्विंट से कहा, "यूएई के कानून के तहत इस तरह के मामलों में पार्थिव शरीर को देश से बाहर नहीं भेजा जाता है."

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "यूएई के अधिकारियों ने 28 फरवरी, 2025 को दूतावास को सूचित किया कि शहजादी को स्थानीय कानूनों के अनुसार सजा दी गई है. शहजादी के परिवार को मामले की जानकारी दे दी गई है."

शब्बीर कहते हैं, "हमारी बेटी जब जिंदा थी, तब किसी ने हमारी नहीं सुनी. अब उसके जाने के बाद हमारी कौन सुनेगा. मेरी बेटी के साथ बहुत जुल्म हुआ है."

शहजादी, शब्बीर और नाजरा बेगम की तीन बेटियों में सबसे छोटी थी. आठ साल की उम्र में खौलता पानी गिरने से उनका चेहरा और शरीर का कुछ हिस्सा जल गया था.

अच्छी नौकरी का वादा और फिर जेल

दिसंबर, 2021 में शहजादी अबू धाबी गई थीं. उनके पिता बताते हैं, "मेरी बेटी आगरा स्थित एक एनजीओ में काम करती थी. कोरोना लॉकडाउन के दौरान जब काम-काम बंद हुआ उसी दौरान वो फेसबुक के जरिए उजैर नाम के लड़के के संपर्क में आई. उजैर भी आगरा का रहने वाला था. उसने ही मेरी बेटी को यूएई जाने का लालच दिया था."

परिवार के मुताबिक, उजैर ने शाहजादी को अबू धाबी में अपनी बुआ नाजिया और फूफा फैज के घर पर अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी दिलाने का वादा किया था. साथ ही आश्वासन दिया था कि वहां उसके चेहरे का इलाज भी हो जाएगा.

उजैर की बुआ नाजिया अबू धाबी की अल नाहयान यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. शब्बीर बताते हैं, "जब मेरी बेटी वहां गई तब नाजिया प्रेगनेंट थी. कुछ महीने बाद उन्होंने बच्चे को जन्म दिया. बच्चे की देख-रेख मेरी बेटी करती थी. बच्चा जब चार महीने का था तब उसे वैक्सीन लगवाया गया था. इसके कुछ घंटे बाद ही बच्चे की मौत हो गई थी."

उनका दावा है कि बच्चे की मौत वैक्सीन लगने की वजह से हुई थी. वो आगे कहते हैं,

"उस समय बच्चे के माता-पिता ने पोस्टमॉर्टम तक नहीं करवाया. यहां तक की लिखा-पढ़ी भी हो गई थी, जिसमें उन्होंने आगे किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं करने की बात कही थी. लेकिन पता नहीं दो महीने बाद क्या हुआ. इन लोगों ने मेरी बेटी पर हत्या का आरोप लगाया और जबरन हत्या की बात कबूल करने का वीडियो बनाया. थाने में भी डरा-धमकाकर अरबी में लिखे कबूलनामे पर साइन करवा लिया गया."

द क्विंट से बातचीत में शब्बीर के वकील अली मोहम्मद माज बताते हैं कि दिसंबर, 2022 में बच्चे की मौत हुई थी. उसके दो महीने बाद यानी फरवरी, 2023 में हत्या का आरोप लगाते हुए शहजादी को जेल भेज दिया गया था.

वो दावा करते हुए कहते हैं,

"मृतक बच्चे के माता पिता ने बिना पोस्टमॉर्टम के डेड बॉडी लेने के लिए एक कंसेंट लेटर दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वो इस घटना को लेकर भविष्य में किसी प्रकार का क्लेम नहीं करेंगे. लेकिन इसके बाद उन लोगों ने जबरन शहजादी का वीडियो बनाया और अपने रसूख का गलत इस्तेमाल करके साजिश के तहत उसे फंसाया."
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

"भारतीय दूतावास की पूरी लापरवाही है"

शहजादी को अबू धाबी की जेल 'अल-वाथबा' में रखा गया था. फरवरी, 2023 में उन्होंने जेल से अपने परिवार से संपर्क किया था.

अली मोहम्मद माज बताते हैं, "दूतावास ने कभी भी परिवार को शहजादी के बारे में नहीं बताया. जब वो जेल गईं तब उन्होंने 10-15 दिन बाद वहां से फोन करके मामले की जानकारी दी. जिनके यहां शहजादी रह रही थी, उनके यहां हमने सैकड़ों बार कॉल किया, लेकिन किसी ने जवाब तक नहीं दिया."

"इसमें अबू धाबी स्थित भारतीय दूतावास की पूरी लापरवाही है. जो घटना हुई थी, उसके तुरंत बाद ही अगर वो हमें खबर कर देते तो हम भी उनके (नाजिया और फैज) खिलाफ वहीं पर केस कर देते. गैरकानूनी तरीके से शहजादी उनके घर में थी. उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया. टॉर्चर करके वीडियो बनाया गया."
अली मोहम्मद माज, वकील

दूतावास की ओर से शहजादी को मिली वकील पर आरोप लगाते हुए माज कहते हैं, "वकील शहजादी से उस पर लगे आरोपों को स्वीकार करने के लिए कह रही थी. वो सिर्फ एक तारीख पर पेश हुईं और फिर दोबारा नहीं आईं. उन्होंने शहजादी का केस भी नहीं लड़ा."

शब्बीर कहते हैं, "दूतावास की ओर से मिली वकील सिर्फ खानापूर्ति ही करती रहीं. हम लोगों को भारतीय दूतावास से सही से मदद नहीं मिली. इस वजह से हमारी लड़की फंसती चली गई."

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "भारतीय नागरिक शहजादी को एक बच्चे की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया और संयुक्त अरब अमीरात में मौत की सजा सुनाई गई. संयुक्त अरब अमीरात की सर्वोच्च अदालत, कोर्ट ऑफ कैसेशन ने सजा को बरकरार रखा. दूतावास ने शहजादी को हर संभव कानूनी सहायता प्रदान की, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात की सरकार को दया याचिका और क्षमा अनुरोध भेजना शामिल है."

माज आगे बताते हैं, "हमने अपने स्तर पर एक वकील किया था. तब जाकर हमें सभी दस्तावेज मिले. वहां के वकील ने हमें डॉक्टर की रिपोर्ट के हवाले से बताया था कि बच्चे के गले और मुंह पर कोई चोट के निशान नहीं थे. दूसरा उन्होंने बताया था कि बच्चे में कार्डियक अरेस्ट के लक्षण थे. इंजेक्शन लगने से बच्चे को रिएक्श हुआ, उसी की वजह से दम तोड़ दिया. डॉक्टर ने कोर्ट में भी बयान दिया था कि बिना पोस्टमॉर्टम के डेड बॉडी ले ली गई थी."

"दूतावास के खिलाफ जाएंगे कोर्ट"

शब्बीर के वकील ने बताया कि अब वो दूतावास के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम अबू धाबी में जो भारतीय दूतावास है, उसके खिलाफ केस करेंगे. जिससे किसी और भारतीय नागरिक के साथ ऐसा न हो. इस मामले में भारतीय दूतावास द्वारा जो भी कदम उठाए गए उसके सबूत मांगेंगे. हम उनसे सारे दस्तावेज मांगेंगे. हमने कॉल और ईमेल के जरिए कई बार उनसे सवाल-जवाब किया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं मिला. 6-6 महीने में एक बार जवाब देते हैं."

शहजादी के परिवार के आरोपों पर द क्विंट ने अबू धाबी स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया है. उनकी ओर से जवाब आने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

"सालों केस लड़ते रहेंगे, लेकिन हम वापस नहीं मिलेंगे"

शहजादी ने परिवार से आखिरी बातचीत में कहा कि वो भारत में दर्ज केस वापस ले लें और सुकून से रहें.

वो कहती हैं, "इंडिया में जो आपने केस किया है, वो वापस ले लेना. अच्छे से रहना, सुकून से. दुश्मनी मोल नहीं लेना. जो एफआईआर है वो ले लो वापस. नहीं चाहिए दुश्मनी. वकील से बोलना की एफआईआर वापस ले ले. सुकून चाहिए बस. सालों केस लड़ते रहेंगे, लेकिन हम वापस नहीं मिलेंगे. कोर्ट-कचहरी के चक्कर बंद कर दो."

वे आगे कहती हैं,

"हम अल्लाह के फैसले से राजी हैं. हमारे लिए दुश्मनी नहीं लेना. कुछ नहीं करना. एफआईआर वापस ले लेना. कितने एक्सीडेंट हुए हमारे साथ. समझना एक और एक्सीडेंट हो गया. हमारी किसी से न कोई शिकायत है और न कोई शिकवा है. अपने दिल में कोई बात न रखना. यही आखिरी ख्वाहिश है."

फोन की दूसरी तरफ रोती हुई मां कहती हैं, "बेटा हमें माफ कर देना. हम कुछ नहीं कर पाए."

दरअसल, पिछले साल बांदा सीजेएम कोर्ट के आदेश पर बांदा पुलिस ने फैज, नाजिया, उजैर और फैज की मां अंजुम सहाना बेगम के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था. जिसमें मानव तस्करी सहित कई आरोप लगाए गए थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बांदा जिले के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच अधिकारी ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है.

(इनपुट- मनोज कुमार)

Published: 05 Mar 2025,09:29 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT