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भारत की राजधानी नई दिल्ली में होने वाला 9वां रायसीना डायलॉग (Raisina Dialouge 2024) बुधवार, 21 फरवरी से शुक्रवार, 23 फरवरी तक चलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे और ग्रीस देश के प्रधानमंत्री क्यारीकोस मित्सोटाकिस इसके मुख्य अतिथि हैं.
लेकिन रायसीना डॉयलॉग क्या है? ये भारत में कब से हो रहा है? और इसमें कौन-कौन शामिल होने वाला है?
दाएं- पीएम मोदी, बाय- मुख्य अतिथि ग्रीस के प्रधानमंत्री क्यारीकोस मित्सोटाकिस
(फोटो- X)
रायसीना डायलॉग भारत का प्रमुख सम्मेलन हैं, जो हर साल नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है. यहां विदेश नीति, खासकर वैश्विक राजनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुद्दे केंद्र में होते हैं.
इस सम्मेलन का आयोजन दिल्ली का स्वतंत्र थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) और विदेश मंत्रालय मिलकर करते हैं.
इस सम्मेलन का नाम कैसे तय हुआ, इसकी कोई ठीक-ठीक जानकारी नहीं है लेकिन यहां 'रायसीना' के इस्तेमाल का संदर्भ रायसीना की पहाड़ी से है जो नई दिल्ली के हृदय (केंद्र) में स्थित है. इस पहाड़ी पर ही राष्ट्रपति भवन बना हुआ है.
हर साल इस सम्मेलन का थीम अलग होता है. विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस बार के संस्करण का विषय "चतुरंगा: संघर्ष, प्रतियोगिता, सहयोग, निर्माण" है (“Chaturanga: Conflict, Contest, Cooperate, Create”).
मंत्रालय के अनुसार, इस तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान, इसमें शामिल लोग छह विषयों पर पर एक-दूसरे से जुड़ेंगे. इनमें शामिल हैं: “(i) टेक फ्रंटियर्स: रेगुलेशंस और वास्तविकताएं (ii) ग्रह के साथ शांति: निवेश और इनोवेट (iii) युद्ध और शांति: शस्त्रागार और विषमताएं (iv) उपनिवेशवाद से मुक्ति बहुपक्षवाद: संस्थाएं और समावेशन (v) 2030 के बाद का एजेंडा: लोग और प्रगति (vi) लोकतंत्र की रक्षा: समाज और संप्रभुता."
इस सम्मेलन में 2,500 से भी ज्यादा लोग भाग लेंगे, जो 115 देशों से होंगे. इसमें कई मंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति, सैन्य कमांडर, टेक लीडर्स, शिक्षाविद, पत्रकार, रणनीतिक मामलों के विद्वान और प्रमुख थिंक टैंक के विशेषज्ञ शामिल होंगे.
भारत में रायसीना डायलॉग सम्मेलन की शुरुआत साल 2016 में की गई थी. इसे शांगरी-ला डायलॉग की तर्ज पर आयोजित किया जाता है.
क्या है शांगरी-ला डायलॉग? शांगरी-ला डायलॉग सिक्यॉरिटी और डिफेंस पर चर्चा के लिए आयोजित किया जाता है जो सिंगपुर में होता है. इसमें भी कई देशों के दिग्गद शामिल होते है. इसे सिंगापुर एक स्वतंत्र थिंक टैंक, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज द्वारा हर साल आयोजित किया जाता है.
इस पर कोई डीटेल रिसर्च तो उपल्बध नहीं है लेकिन ये कहा जा सकता है कि ये सम्मेलन बचे हुए साल के लिए एक मूड सेट करता है. इससे पता चलता है कि सरकार का अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर क्या रुख है. वहीं इससे कई एक्सपर्ट्स और देशों को भी पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत सरकार की क्या प्राथमिकताएं हो सकती हैं.