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इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास देश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हमने मोदी सरकार (PM Modi) की कुछ ऐसी योजनाओं का अध्ययन किया जिससे देश के विकास को मजबूती मिलनी चाहिए. हमने जिन योजनाओं का अध्ययन किया वो बीजेपी के 2019 के संकल्प पत्र में भी है. हिसाब-किताब के इस एपिसोड में आपको पता चलेगा कि पीएम आवास योजना (PMAY) का क्या हुआ? मेट्रो (Metro) का निर्माण, स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission), 24 घंटे बिजली, एयरपोर्ट (Airport), सड़कें और रेलवे सुविधा को लेकर कितना काम हुआ है? चलिए सरकारी आंकड़ों के आधार पर चुनावी वादों, योजनाओं का हिसाब किताब करते हैं.
पहले बात पीएम आवास योजना की...2015 के वादे को 2019 का चुनावी वादा बनाया गया था और कहा गया था हाउसिंग फॉर ऑल यानी हर किसी के लिए घर...2022 तक जिनके पास कच्चा मकान है या मकान नहीं है उनके लिए पक्का मकान बनवाया जाएगा. लेकिन अब हम 2024 में आकर खड़े हो गए हैं.
उत्तर प्रदेश के गौंडा के पीएम आवास के लाभार्थी का पक्का आवास
फोटो- FB/Pradhan Mantri Awas Yojana - Urban, Government of India
सरकारी डेटा के अनुसार, इनमें से 3.41 लाख घर कांग्रेस सरकार की योजना - जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन के तहत स्वीकृत किए गए थे.
ये हुई शहरी इलाकों की बात अब ग्रामीण इलाके में स्थिति बेहतर है लेकिन 2022 तक टारगेट पूरे करने वादे से सरकार पीछे ही है.
अब बात 50 शहरों में मेट्रो नेटवर्क बनाने की... वादा 50 शहरों का था लेकिन संसद में दिए गए जवाब के अनुसार, जनवरी 2024 तक 27 शहरों में मेट्रो पहुंच चुकी है. इसके अलावा 959 km की मेट्रो रेल ट्रैक का निर्माण जारी है.
2 अक्टूबर 2019 को सरकार की तरफ दावा किया गया कि भारत के सभी गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं, यानी सभी के घरों में टॉइलेट बने हैं.
लेकिन फिर 2021 में पांचवा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे आया जिसने बताया कि सर्वेक्षण में शामिल 18 राज्यों में से एक भी राज्य ऐसा नहीं है जहां हर घरों में शौचालय की सुविधा हो.
2019 में लॉन्च हुआ जल जीवन मिशन ताकी 55 लिटर पानी हर दिन गांव के हर घर को मिल सके. जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार 19 करोड़ से ज्यादा घरों में नल से जल पहुंचाने का टारगेट रखा गया था लेकिन फिलहाल ग्रामीण इलाकों में 75% घरों में नल से जल पहुंचाया जा रहा है. प्रोग्रेस हो रही है लेकिन वादे की डेडलाइन से काफी आगे निकल गए...
हर घर नल से जल योजना की लाभार्थी
फोटो- FB/Jal Jeevan Mission India
2019 में वादा किया गया कि कुल 60 हजार किमी का नेशनल हाईवे बनाया जाएगा. लेकिन सड़क मंत्रालय के अनुसार, 49,600 किमी की सड़क बनाई जा चुकी है. काम जरूर तेजी से हुआ है लेकिन वादे के मुताबिक नहीं.
अब रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर पर नजर डालते हैं...इंफ्रा के मामले में सुधार दिखता है...आकड़ों के हिसाब से 100% कोच में बायो टॉयलेट लगाए गए हैं, सफाई के दावे हैं, हेल्पलाइन नंबर (139) को एक्टिव बनाया गया है. आप भी बताएं क्या सरकार के दावे से सही हैं?
अब जानते हैं रेलवे सफर कितना सुरक्षित है? आरपीएफ यानी रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के आंकड़े बताते हैं कि 2018 में 10 लाख 94 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे जो 2019 में घट कर 9 लाख 49 हजार के करीब आ गए थे. फिर 2020-21 तो पूरा कोरोना का दौर रहा और 2022 में 7 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं.
2019 में वादा किया गया कि 2022 तक सभी मुख्य रेलवे स्टेशनों पर वाय-फाय की सुविधा होगी. रेलवे मंत्रालय के अनुसार 2019 में 7,321 मुख्य रेलवे स्टेशन थे उसमें से 2023 तक 6,108 स्टेशनों पर वाय-फाय लगवाए गए हैं. हर योजना में थोड़ा-थोड़ा काम छूटा हुआ नजर आता है.
2019 में एयरपोर्ट्स की संख्या को दोगुना करने का वादा किया गया था. तब 101 एयरपोर्ट्स थे, जिसमें हेलीपोर्ट और पानी में उतरने वाले एयरोड्रोम्स भी शामिल हैं. तो 2023 तक 48 एयरपोर्ट जोड़े गए यानी भारत में अभी 149 एयरपोर्ट मौजूद हैं. वादा के मुताबिक लगभग 50 फीसदी कम.
बिजली को लेकर आकड़े बताएं तो 2018-19 में ग्रामीण इलाकों में 4 घंटे पावर कट होता था और 2022-23 में भी 4 घंटे का पावर कट होता है. शहरी इलाकों की बात करें 2018-19 में 20 मिनट का पावर कट होता था जो 2022-23 में भी 20 मिनट पर बरकरार है. अब इसका सही फैक्ट चेक आप खुद कर सकते हैं.