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पाकिस्तान (Pakistan) में बुधवार, 9 अगस्त की आधी रात को संसद भग कर दी गई. राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (PM Shehbaz Sharif) की सलाह पर संसद भंग कर दी है. बता दें कि संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली को पांच साल का संवैधानिक कार्यकाल पूरा होने से तीन दिन पहले ही भंग कर दिया गया है. इसके साथ ही शहबाज शरीफ सरकार का कार्यकाल भी समाप्त हो गया.
पाकिस्तान सरकार के पांच साल का कार्यकाल 12 अगस्त 2018 से शुरू हुआ था. 12 अगस्त 2023 को कार्यकाल खत्म होना था. सरकार की सिफारिश के बाद एक अंतरिम सरकार कार्यभार संभालेगी. हालांकि, बड़ी बात यह है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच अभी तक केयरटेकर/अंतरिम पीएम के नाम पर सहमति नहीं बन सकी है.
इस स्टोरी में देखिए कि नेशनल असेंबली भंग कैसे होती है, अंतरिम या कार्यवाहक सरकार की नियुक्ति कैसे होती है और इनका काम क्या है?
पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 52 के तहत सरकार के पांच साल पूरे होने पर नेशनल असेंबली को भंग करना होता है. इसे साधारण भाषा में चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत मान सकते हैं. इस दौरान पीएम या मंत्रिमंडल का कोई भी सदस्य अपने पद पर नहीं होता है.
अनुच्छेद 58 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति पीएम की सिफारिश पर 48 घंटों के भीतर असेंबली भंग नहीं करते तो इसे अपने आप भंग मान लिया जाता है. भंग होने के बाद नेशनल असेंबली सचिवालय नोटिफिकेशन जारी करता है.
नेशनल असेंबली भंग होते ही पाकिस्तान के चुनाव आयोग की भूमिका बढ़ जाती है. संविधान के अनुच्छेद 224 के अनुसार, सरकार के पांच साल पूरे होने पर 60 दिनों के भीतर और समय से पहले संसद भंग होने पर 90 दिनों के भीतर चुनाव कराना जरूरी है.
चुनाव आयोग पर ही निष्पक्ष चुनाव कराने की पूरी जिम्मेदारी है. जब तक चुनाव नहीं हो जाते, एक अंतरिम सरकार ही शासन चलाती है.
कार्यवाहक सरकार का एक प्राथमिक काम देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए अनुकूल माहौल बनाना है. कार्यवाहक सरकार पर जिम्मेदारी होती है कि नियमित काम होते रहें और ये सुनिश्चित किया जाए कि संसद के विघटन और नई सरकार के शपथ ग्रहण के बीच के समय में पाकिस्तान में गतिरोध न हो.
अंतरिम सरकार के लिए प्रधानमंत्री और नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता आम सहमती से कार्यवाहक प्रधानमंत्री के नाम की सिफारिश करते हैं. राष्ट्रपति इस सिफारिश पर उनकी नियुक्ति करते हैं.
इस कमेटी की नियुक्ति नेशनल असेंबली के स्पीकर ही करते हैं और इसमें नेशनल असेंबली, सीनेट या दोनों के मिलाकर 8 सदस्य इसके मेंबर होते हैं. ये कमेटी बनने के 3 दिनों के भीतर कार्यवाहक पीएम का नाम फाइनल करती है.
इस स्थिती में तब तक पीएम और विपक्ष के नेता अपना काम जारी रखते हैं, जब तक कार्यवाहक पीएम नियुक्त न हो जाए.