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बिहार के सीवान जिले के आर्मी जवान रामबाबू सिंह (Army Jawan Rambabu Singh) कैसे शहीद हुए? जम्मू डिफेंस PRO सुनील बर्थवाल ने द क्विंट को बताया कि "ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट में जवान रामबाबू की जान गई है."
ये हादसा कैसे हुआ? इस सवाल के जवाब में डिफेंस PRO कहते हैं, "ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मूवमेंट के वक्त ये हादसा हुआ है." वे स्थिति साफ करते हुए कहते हैं, "ये हादसा शेलिंग (गोलाबारी) की वजह से नहीं हुआ है. ऑपरेशन के दौरान मूवमेंट होती है, इस दौरान हादसा हुआ है."
बता दें कि 43 RPAS बटालियन आर्टिलरी, जम्मू में तैनात रामबाबू की शहादत को लेकर कई तरह की खबरें सामने आईं थी. वे 2017 में सेना में भर्ती हुए थे और पिछले 6 सालों से जम्मू में पोस्टेड थे.
क्विंट हिंदी से बातचीत में रामबाबू के बड़े भाई अखिलेश सिंह बताते हैं कि उन्हें 12 तारीख को फोन पर शहादत की सूचना दी गई थी. "आखिरी बार मेरी 8 तारीख को बात हुई थी. मेरी रोज बातचीत नहीं होती थी. 2-4 दिन में बात हो जाती थी," वे आगे बताते हैं.
रामबाबू सिंह के चाचा शशिकांत सिंह कहते हैं, "112 वाले सर (पुलिस) आए थे, उन्होंने मुझे इसके बारे में बताया." रामबाबू के साथ क्या हुआ था, इस पर वे कहते हैं कि उन्हें इसके बारे में नहीं बताया गया था.
आखिरी बातचीत को याद करते हुए वे कहते हैं,
क्या उन्हें रामबाबू के घायल होने की जानकारी थी? इस सवाल पर वे कहते हैं, "घायल होने की मुझे कोई खबर नहीं थी."
रामबाबू दो भाईयों में छोटे थे. वे अपने पीछे मां और गर्भवती पत्नी को छोड़ गए हैं. बड़े भाई अखिलेश झारखंड के हजारीबाग में रेलवे में लोको पायलट के पद पर कार्यरत हैं. वहीं उनके पिता का दो साल पहले निधन हो गया था, वे पूर्व उपमुखिया थे.
आर्मी जवान रामबाबू सिंह
(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)
रामबाबू की 14 दिसंबर 2024 को अंजलि से शादी हुई थी. अंजलि प्राइवेट जॉब करती हैं और 4 महीने की गर्भवती हैं.
द क्विंट से बात करते हुए कहती हैं, "हमारी आखिरी बात कब हुई, क्या हुई- ये मैटर नहीं करता है. वे ऑन ड्यूटी शहीद हुए हैं, बस यही बात मायने रखती है."
क्या रामबाबू के घायल होने की जानकारी थी? इस सवाल पर अंजलि कहती हैं,
रामबाबू की 14 दिसंबर 2024 को अंजलि से शादी हुई थी.
(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)
अंजलि बताती हैं कि रामबाबू सिंह पिछले 6 सालों से जम्मू में पोस्टेड थे. उनकी पहली और दूसरी पोस्टिंग जम्मू में ही थी. हाल ही में उन्हें जोधपुर में पोस्टिंग मिली थी. इसके साथ ही वे बताती हैं कि रामबाबू अगले महीने की 14 तारीख को घर आने वाले थे.
इसके साथ ही वे कहती हैं, "उनकी डेथ की बात भी मुझे नहीं पता थी. मुझे दो दिन बाद पता चला, जिस दिन उनकी बॉडी आने वाली थी. मैं धनबाद से भी जब आई तब भी मुझे नहीं पता था. मुझे बस इतना बताया गया था कि भईया के घर में किसी की तबीयत खराब है. न मुझे पता था न ही मेरी सास को पता था. सिर्फ घर के बड़े लोग- मेरे पापा और भईया को पता था. क्योंकि जो भी जानकारी थी, उनके पास आई थी."
वे आगे कहती हैं,
आर्मी जवान रामबाबू सिंह अपने पीछे पत्नी और मां को छोड़ गए.
(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)
जवान रामबाबू को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 50 लाख की सम्मान राशि का ऐलान किया था. उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा, "वीर सपूत की शहादत पर उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना है. शहीद जवान रामबाबू सिंह जी के निकटतम आश्रित को राज्य सरकार की ओर से 50 लाख रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी."
बुधवार, 14 मई को जवान रामबाबू का पार्थिव शरीर बिहार पहुंचा. पटना एयरपोर्ट पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
इसके बाद पार्थिव शरीर पटना से सीवान स्थित उनके पैतृक गांव वसिलपुर लाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ. रामबाबू की अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग जुटे और देशभक्ति नारों के साथ नम आंखों से आर्मी जवान को अलविदा कहा.