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हम RML हॉस्पिटल के नर्सिंग स्टाफ हैंः वर्षों तक मेहनत की और अब टर्मिनेट हो गए

14 फरवरी को RML हॉस्पिटल ने अस्पताल के 151 संविदा नर्सिंग अधिकारियों को टर्मिनेशन लेटर जारी किया.

यादराम यादव
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>हम RML हॉस्पिटल के नर्सिंग स्टाफ हैं, वर्षों तक मेहनत किए और अब टर्मिनेट हो गए</p></div>
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हम RML हॉस्पिटल के नर्सिंग स्टाफ हैं, वर्षों तक मेहनत किए और अब टर्मिनेट हो गए

(फोटो- द क्विंट)

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वीडियो प्रोड्यूसर- माज हसन
वीडियो एडिटर- सुब्रोतो अधिकारी

दिल्ली (Delhi) के डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML Hospital) के संविदा नर्सिंग स्टाफ. जब कोई अपनी जिंदगी के 10-15 साल नौकरी में खत्म कर देता है, तब वो तरक्की और समृद्धि की उम्मीद करता है, लेकिन यह हमारे लिए नहीं था.

14 फरवरी को हॉस्पिटल के 151 संविदा नर्सिंग ऑफिसर्स को एक महीने के नोटिस पीरियड के साथ टर्मिनेशन लेटर जारी कर दिया गया, पत्र में कहा गया है...

151 संविदा स्टाफ नर्सों के कॉन्ट्रैक्ट्स इस आदेश के जारी होने की तारीख से, नए नर्सिंग अधिकारियों के शामिल होने के आधार पर, एक महीने का नोटिस देकर First Come Last Go के आधार पर टर्मिनेट किए जाते हैं.
आरएमएल अस्पताल का टर्मिनेशन लेटर

आरएमएल हॉस्पिटल का टर्मिनेशन लेटर

फोटो- द क्विंट)

हॉस्पिटल मैनेजमेंट नए स्थायी नर्सिंग स्टाफ को नियुक्त और संविदा कर्मचारियों को टर्मिनेट करने जा रहा है, जिनमें से कुछ एक दशक से अधिक वक्त से हॉस्पिटल में काम कर रहे हैं.

हमने अपनी जिंदगी का सबसे जरूरी हिस्सा हॉस्पिटल के नाम कर दिया. हमने नियमित कर्मचारियों की तरह हॉस्पिटल को सर्विस दी. कोई शिकायत नहीं थी, इसके बावजूद वे हमें टर्मिनेट कर रहे हैं, हम कहां जाएंगे? हम सड़कों पर आ गए हैं, पता नहीं हमारे परिवारों का क्या होगा.
यादराम यादव, नर्सिंग अधिकारी

यादराम यादव आरएमएल हॉस्पिटल में 2009 से काम कर रहे हैं

(फोटो- यादराम यादव

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सबसे महत्वपूर्ण समय में कोरोना वायरस की तीन लहरों के दौरान, हमने पूरे समर्पण के साथ अपनी बेहतरीन सेवाएं देते हुए, पहली लाइन के योद्धाओं के रूप में काम किया. अब, राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के मैनेजमेंट का कहना है कि वे हमें स्थायी कर्मचारियों के साथ बदल रहे हैं.
राम सिंह यादव, नर्सिंग ऑफिसर

RML हॉस्पिटल केंद्र सरकार द्वारा चलाया जाता है.

(फोटो- यादराम यादव

सभी की तरह हमारे कंधों पर भी जिम्मेदारियां हैं और यह टर्मिनेशन लेटर एक बड़े झटके के रूप में आया है.

एक बार जब हम बेरोजगार हो गए, तो हम नौकरी के बदले लिए गए लोन का भुगतान कैसे करेंगे? हमारे बच्चों और माता-पिता का क्या होगा, जो हम पर और हमारी नौकरियों पर निर्भर हैं? अगर हमसे हमारी नौकरियां छीन ली जाती हैं तो हम इन जरूरतों को कैसे पूरा करेंगे? आज, भले ही हम जाकर नई नौकरी की तलाश करें, हमारे लिए नौकरी पाना आसान नहीं है. हम में से कई अब एक योग्य उम्र पार कर चुके हैं और हमें नौकरी नहीं मिलेगी. हम में से कई लोग काम कर रहे हैं, स्वास्थ्य के मुद्दों के साथ और कई अन्य समस्याएं हैं. अगर हमारे पास नौकरी नहीं होगी तो हम इन दिक्कतों से कैसे लड़ पाएंगे?"
पारुल चौरसिया, नर्सिंग ऑफिसर

पारुल उन कई नर्सिंग अधिकारियों में से एक हैं जिन्होंने COVID की लहरों के दौरान अपनी सेवाएं दीं

(फोटो- पारुल चौरसिया)

एक महीने से अधिक समय हो गया है जब से हम विभिन्न सरकारी विभागों के दरवाजे खटखटा रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि हमारी चीखें बहरे कानों पर पड़ रही हैं.

नर्सिंग स्टाफ को टर्मिनेशन नोटिस दिए जाने के बाद, हमने पीएमओ और स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा था. हमें इन पत्रों को जमा किए हुए कुछ समय हो गया है, लेकिन कोई भी हमारी बात नहीं सुन रहा है.
शेरोन रोज, नर्सिंग ऑफिसर

प्रधानमंत्री मोदी के नाम नर्सिंग ऑफिसर का पत्र

(फोटो- द क्विंट)

स्वास्थ्य मंत्री के नाम नर्सिंग ऑफिसर्स का पत्र

(फोटो- द क्विंट)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोरोना महामारी में 100 दिन से अधिक काम करने वाले चिकित्सा कर्मियों को जॉब देने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए. हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री द्वारा किया गया वादा पूरा होगा.

इंसाफ की उम्मीद में हमने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) का रुख किया है, जहां मामले की सुनवाई हो रही है. हमें उम्मीद है कि हमारी रोजी-रोटी हमसे नहीं छीनी जाएगी.

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