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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के रण की शुरुआत हो चुकी है. शुक्रवार, 19 अप्रैल को पहले चरण में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोट डाले गए. इन तमाम सीटों पर मिलाकर लगभग 60% वोटिंग हुई लेकिन इनमें नागालैंड के 6 ऐसे भी जिले थे जहां एक भी वोटरों ने वोट नहीं डाला.
सवाल है कि ऐसा क्यों हुआ? किस संगठन के कहने पर यहां के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार किया? इस संगठन की क्या मांग है? क्या चुनाव आयोग ने इस पर कोई एक्शन लिया है? चलिए आपको इस एक्सप्लेनर में एक-एक सवाल का जवाब देते हैं.
नागालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए शुक्रवार को मतदान हुआ. यहां वोटिंग परसेंट 57% ही रहा जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में ये 83% था. यानी वोटिंग परसेंट में 26% के आसपास की बड़ी गिरावट देखी गयी.
बता दें, नागालैंड के पूर्वी भाग में बसे 6 जिलों- मोन, तुएनसांग, लॉन्गलेंग, किफिरे, नोकलाक और शामतोर- में लगभग 4 लाख वोटर हैं लेकिन उनमें से एक ने भी वोट नहीं डाला. दरअसल, ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ENPO) और कई आदिवासी संगठनों ने चुनाव के बहिष्कार और बंद का आह्वान किया था जिसको यहां के लोगों ने फॉलो किया.
राज्य की 60 में से 20 विधानसभा सीटें, इन 6 जिलों में आती हैं. इन 20 विधानसभाओं के 20 विधायकों में से भी किसी ने वोट नहीं डाला.
ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ENPO) पूर्वी नागालैंड में आदिवासियों की सबसे बड़ी बॉडी है. ENPO पूर्वी नागालैंड को नागालैंड से अलग होकर एक अलग राज्य- फ्रंटियर नागालैंड क्षेत्र- की मांग कर रहा है.
ENPO 2010 से ही एक अलग राज्य की मांग कर रहा है. उसका दावा है कि नागालैंड के पूर्वी हिस्से में छह जिलों - मोन, तुएनसांग, लॉन्गलेंग, किफिरे, नोकलाक और शामतोर को वर्षों से सभी पहलुओं में उपेक्षित किया गया है.
मौजूदा लोकसभा चुनाव से पहले ईएनपीओ ने इन छह जिलों में "सार्वजनिक आपातकाल" घोषित किया था, जिसमें कहा गया है कि वह किसी भी राजनीतिक दल को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने की अनुमति नहीं देगा. यह फैसला ENPO ने मार्च के पहले सप्ताह में आदिवासी निकायों और फ्रंटल संगठनों के साथ दीमापुर में बैठक के बाद लिया.
संगठन ने अपने बयान में कहा,
गौरतलब है कि ENPO ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले भी बहिष्कार का आह्वान किया था लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आश्वासन के बाद इसे वापस ले लिया गया था.
वैसे तो ENPO की मांग है कि वर्तमान नागालैंड राज्य से अलग होकर एक अलग राज्य, फ्रंटियर नागालैंड बनाया जाए लेकिन 2022 में सलाहकार (पूर्वोत्तर) ए के मिश्रा के नेतृत्व में केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने एक वैकल्पिक व्यवस्था- स्वायत्तता क्षेत्र के लिए बातचीत की थी.
ENPO 7 जनजातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व करता है. इसने 2022 में अपनी मांग पर दबाव तेज कर दिया और केंद्र सरकार द्वारा इस मुद्दे को हल करने में विफल रहने पर किसी भी चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं लेने का संकल्प लिया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तब 49 पार्षदों के साथ विधायी, कार्यकारी, प्रशासन और वित्तीय स्वायत्तता के साथ क्षेत्र के लिए एक स्वायत्त परिषद बनाने का प्रस्ताव रखा था. इसमें 40 निर्वाचित विधायी सदस्यों और नौ नॉमिनेटेड मेंबर्स होते.
हालांकि, अभी इस पर सहमति नहीं बनी है और ENPO अभी भी नए राज्य की मांग कर रहा है.
18 अप्रैल को, नागालैंड के चीफ इलेक्शन ऑफिसर ने ENPO को एक 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया था. इसमें कहा गया था कि पूरे पूर्वी नागालैंड में पूर्ण बंद का आह्वान "पूर्वी नागालैंड क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के वोट डालने के स्वतंत्र अधिकार में हस्तक्षेप करके चुनावों में अनुचित प्रभाव का उपयोग करने का प्रयास है."
कारण बताओ नोटिस में ENPO के अध्यक्ष ने पूछा कि IPC की धारा 171 (सी) की उप-धारा (1) के अनुसार कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए.
नोटिस का जवाब देते हुए, ENPO ने स्पष्ट किया कि उसने पहले ही लोकसभा चुनाव 2024 में भाग लेने से दूर रहने के अपने इरादे के बारे में भारत के चुनाव आयोग को सूचना दे दी थी.
संगठन ने आगे कहा कि IPC की धारा 171 (सी) की उप-धारा (1) इस संदर्भ में लागू नहीं होगी क्योंकि चुनाव में अनुचित प्रभाव डालने से जुड़ा कोई अपराध नहीं किया गया है.
'कारण बताओ' नोटिस का जवाब देने के बाद ENPO ने सभी 6 जिलों से बंद हटा दिया.