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13 सितंबर को अपने पलंग की जगह मेरी नींद एक गंदे नाले के पानी के बीच खुली. मैं दास साही, शंकरपुर के बदामबाड़ी इलाके में रहता हूं जो कटक में है. यह काफी निचला क्षेत्र है और मैं यहां 20 सालों से रह रहा हूं.
लोगों के घरों में गंदे नाले का पानी
जलमग्न कट की सड़कें
घरों में नाले का गंदा पानी
हमने पूरा दिन बस खुद को बचाए रखा. हम उस पलंग पर थे जो पानी से आधा भरा हुआ था. मेरी मां हमारे लिए खाना भी नहीं बना सकती थी, क्योंकि किचन में भी पानी भरा हुआ था.
यहां की नालियों का रखरखाव ठीक से नहीं किया जाता है, जिसकी वजह से यह आसानी से बंद हो जाती है और नालियों से निकलने वाली गंदी चीजें हमारे घर में घुस आती है, जिससे हम सभी को बहुत परेशानी होती है.
हम कई सालों से इससे निपट रहे हैं. बेकार तरह से बनी सड़कें और नालियों ने हमारे समस्या को और बढ़ा दिया है.
जलमग्न सड़कें
(Photo courtesy: Citizen journalist Amlan Das)
राज्य सरकार ने भी इसके चलते स्कूलों में दो दिन का अवकाश दे दिया.
इस पर एक दसवीं कक्षा के आयुष दास कहते हैं कि "काफी समय बाद स्कूल फिर से खुल गए थे, लेकिन भारी बारिश के कारण हम स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. हमारा पूरा स्कूल जलमग्न हो गया है और कैंपस से पानी निकलने में कम से कम 2-3 दिन लग सकते हैं.
जलभराव की वजह से कई ठेले वाले भी पारेशानियों का सामना कर रहे हैं.
हमारे इलाके के निवासियों ने सालों से इस परेशानी के बारे में कई शिकायतें दर्ज करवाई हैं, लेकिन नगर निगम ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है.
नगर पालिका को दोष देते हुए महानदी विहार के निवासी भोलानाथ दास ने कहा कि, “कटक नगर निगम दावा करता रहता है कि शहर में नाले की सफाई का काम नियमित रूप से किया जा रहा है. लेकिन एक घंटे की बारिश के बाद हुए जलभराव से पता चलता है कि अधिकारियों द्वारा कोई ठोस उपाय नहीं किया गया था.”
कोई और विकल्प न होने के कारण, हम खुद से ही अपने घरों में घुसा पानी निकालते रहते हैं, लेकिन यह एक फालतू की एक्सरसाइज जैसा हो रहा है.
मुझे कुछ मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें कहा गया था कि कटक नगर निगम के अधिकारियों ने 220 से अधिक डिवॉटरिंग पंप सेट तैनात किए हैं और बारिश के पानी को निकालने के लिए 100 एचपी खाननगर पंपिंग स्टेशन को सक्रिय किया है.
हालांकि, कई पंप सेटों में खराबी के कारण बारिश के पानी को निकालने की प्रक्रिया बाधित हुई है.