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13 मार्च को, गोकुलपुरी (Gokulpuri Fire) की झोंपड़ियों में आग लग गई, जिसमें कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. यहां के घर जल कर राख हो गए हैं और निवासियों को अब पास के एक राहत शिविर में शिफ्ट कर दिया गया है. हालांकि उनकी परेशानी का कोई अंत नहीं है.
मैंने घटना के पीड़ितों से उन्हें दी जा रही सहायता और उन्हें हुए नुकसान के बारे में बात की.
गोकुलपुरी का वो इलाका जहां आग लगी थी
The Quint
गोकुलपुरी का वो इलाका जहां आग लगी थी
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अपने दो बच्चों को खो चुकी गोकुलपुरी की रहने वाली सुमनजीत ने कहा, "जब आग लगी, हम सब सो रहे थे. जब यह हुआ तो हम संभाल पाने में असमर्थ थे और जितनी जल्दी हो सके अपने घरों को छोड़ने की कोशिश की. हमारे दो बच्चे अंदर फंस गए. जब तक हमें एहसास हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. हमने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन जलते हुए घर में घुस नहीं सके. पूरा घर जल गया और हमने अपने बच्चों को खो दिया."
उन्होंने कहा कि आग आधी रात के आसपास लगी लेकिन दमकलकर्मी और आग बुझाने के सभी साधन दोपहर 2 बजे के बाद आए.
एक और निवासी रवीना ने अपने परिवार के पांच सदस्यों को खो दिया. उनके शरीर इस तरह जल गए थे कि पहचान पाना मुश्किल था.
इनमें से कई पीड़ित जिन्होंने अपने परिवार, घर और अपनी बचत खो दी है, का कहना है कि मौद्रिक मुआवजा उनकी जरूरतों को पूरा नहीं करेगा.
गोकुलपुरी के निवासियों ने सरकार से उनके सिर पर छत मुहैया कराने ने मदद करने का अनुरोध किया है.
एक निवासी ने कहा, "हम कब तक इस तरह जीवित रहेंगे? हमें कब तक ऐसे ही जलना होगा? और कितने बच्चों की जान जाएगी? हम यहां जो कुछ भी दिया जा रहा है, उसके साथ हम यहां जी रहे हैं,"