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कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandit) की टारगेट किलिंग ने हममें से कई लोगों को घाटी छोड़ने पर मजबूर कर दिया है क्योंकि एक महीने में 9 से अधिक घटनाएं हुई हैं. लेकिन हममें से कई लोग कश्मीर नहीं छोड़ पाए हैं." ये कहना है शेखपुरा में रह रहे एक कश्मीरी पंडित परिवार का. कश्मीर में जारी उथल-पुथल के बीच ये परिवार किन परस्थितियों में रहने को मजबूर है, इन सब पर उन्होंने अपनी कहानी क्विंट से साझा की है.
हमारे कश्मीर नहीं छोड़ पाने का एक कारण ये भी है कि शेखपुरा समेत कुछ कॉलोनियों के लोगों को सरकार नही जाने दे रही है. उन्होंने बैरिकेड्स लगा रखे हैं और हमसे पूछते हैं कि क्या हम निकलने की कोशिश कर रहे हैं. कश्मीरी पंडित कॉलोनियों के बाहर रहने वाले कुछ लोग इसलिए चले गए क्योंकि जब सुरक्षा बलों ने उनसे पूछताछ की तो उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया.
सरकार कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने की इजाजत नहीं दे रही है.
चित्रण : चेतन भकुनी
बच्चों की शिक्षा दांव पर
इस चुनौतीपूर्ण समय में हमारे बच्चों को भी परेशानी हो रही है. हम बच्चों के प्रिंसिपल से मिलने गए थे. इससे पहले वे ऑनलाइन कक्षाओं के लिए सहमत हुए. 7 जून को मेरी बेटी की ऑनलाइन परीक्षा थी लेकिन फिर उन्होंने ने इसे ऑफलाइन में बदल दिया. यह केंद्रीय विद्यालय का हाल है. डीपीएस और एयरफोर्स स्कूल समेत अन्य स्कूल कह रहे हैं कि वे ऑनलाइन मोड में स्विच नहीं कर पाएंगे क्योंकि उनके पास ऐसा करने की अनुमति नहीं है.
कश्मीरी पंडितों का कहना है कि स्कूल न तो ऑनलाइन मोड में स्विच कर रहे हैं और न ही हमारे बच्चों को TC दे रहे हैं.
चित्रण : चेतन भकुनी
जीवन हमारे और हमारे बच्चों के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं. हमने स्कूलों से TC ( ट्रांसफर सर्टिफिकेट) मांगा है लेकिन उन्होंने कहा कि वे नहीं दे सकते. हम स्थिति को देखते हुए 10 वीं कक्षा के बच्चों के लिए TC की सख्त मांग कर रहे हैं. आप भी जानते है टार्गेट किलिंग हो रही है जिसमें हममें से कोई भी मारा जा सकता हैं. हमलोगों अपने बच्चों को सामुदायिक कक्षाएं दे रहे हैं. क्योंकि वो बाहर नहीं जा सकते. हम और क्या कर सकते है ?
कश्मीरी पंडितों के बच्चों को सामुदायिक कक्षाएं दी जा रही है.
चित्रण : चेतन भकुनी
"हमें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाए"
घाटी के कश्मीरी पंडित भारत में एक सुरक्षित स्थान पर हस्तांतरण की मांग कर रहे हैं.
चित्रण : चेतन भकुनी
हम सरकार से कह रहे हैं कि आप हमें कही और भेज दें, जहां हमारे बच्चे भी दो-तीन साल में बस जाएंगे. तब तक स्थिति में सुधार होगा. मैं स्पष्ट रूप से कह दूं कि हम कश्मीर नही छोड़ना चाहते हैं. बस स्थिति में सुधार होने तक कुछ समय के किए किसी सुरक्षित जगह रहना चाहते है.
(स्टोरी के लेखक कश्मीर में रहने वाले एक कश्मीरी पंडित हैं.)