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Delhi Assembly Election Result 2025 Live: दिल्ली विधानसभा चुनावों को बीजेपी ने शानदार तरीके से जीत लिया है. पार्टी 27 साल बाद दिल्ली की कुर्सी पर बैठने को तैयार है. आम आदमी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. अरविंद केजरीवाल से लेकर मनीष सिसोदिया तक, पार्टी के बड़े चेहरे भी अपनी सीट नहीं जीत पाए हैं.
बीजेपी से मिली कड़ी चुनौती के बीच आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली में लगातार चौथी बार सत्ता हासिल करने की कोशिश में थी. तमाम एग्जिट पोल में 27 साल बाद राष्ट्रीय राजधानी में भगवा पार्टी की सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी की गई और हुआ भी ऐसा ही.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को वोट डाले गए थे. एक ही चरण में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में 60.42 फीसदी मतदान हुआ. यह आंकड़ा 2020 में पड़े 62.82 प्रतिशत वोट से कम और 2015 में दर्ज 67.47 प्रतिशत वोट से काफी कम है.
इस बार चुनाव में कुल 699 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें AAP और कांग्रेस ने 70-70 उम्मीदवार और बीजेपी ने 68 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जबकि दो सीटों पर उसके सहयोगी दल जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) चुनाव लड़ रहे थे.
नई दिल्ली विधानसभा सीट सबसे हॉट सीट है, जहां आप संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सीट बरकरार रखने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे. यहां बीजेपी और कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों, परवेश साहिब सिंह और संदीप दीक्षित को मैदान में उतारा है. यहां परवेश साहिब सिंह ने बाजी मार ली है.
70 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा 36 है. 2020 में, AAP ने 62 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी ने बाकि की आठ सीटें हासिल कीं. कांग्रेस की झोली खाली रही थी. 2015 में, AAP को 67 सीटों और 54.6 प्रतिशत वोट शेयर के साथ शानदार जीत मिली थी. वहीं बीजेपी को केवल 3 सीटों से संतोष करना पड़ा. कांग्रेस 2015 में भी खाता नहीं खोल सकी थी.
अगर मई 2024 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो, बीजेपी ने सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में 54 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया. खास बात है कि कांग्रेस ने AAP से बेहतर प्रदर्शन किया और AAP के 19 प्रतिशत की तुलना में 24 प्रतिशत वोट हासिल किया था.
AAP को उम्मीद थी की जीत से दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य पर अरविंद केजरीवाल की पकड़ मजबूत होगी और राष्ट्रीय स्तर पर उनका कद बढ़ेगा. हालांकि ऐसा हुआ नहीं. बीजेपी ने जीत हासिल की है और 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की है. उसने AAP के एक दशक के प्रभुत्व को तोड़ दिया है. 2013 तक लगातार 15 सालों तक राष्ट्रीय राजधानी पर शासन करने वाली कांग्रेस बैक-टू-बैक चुनावी असफलताओं के बाद दिल्ली में राजनीतिक वापसी की उम्मीद कर रही थी. लेकिन लगातार तीसरी बार पार्टी का खाता नहीं खुलता दिख रहा.