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यूपी: डायलिसिस के दौरान बिजली कटने से युवक की मौत, परिवार ने उठाए गंभीर सवाल

बिजनौर के कोतवाली थाने में BNS- 2023 की धारा 289 और धारा 106(1) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

नौशाद मलूक
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>बिजनौर के कोतवाली थाने में BNS- 2023 की धारा 289 और धारा 106(1) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.</p></div>
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बिजनौर के कोतवाली थाने में BNS- 2023 की धारा 289 और धारा 106(1) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

(फोटो: द क्विंट द्वारा प्राप्त)

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उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 26 वर्षीय सरफराज की डायलिसिस के दौरान मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि बिजली कटने के बाद अस्पताल का जनरेटर भी चालू नहीं हुआ, जिससे डायलिसिस की प्रक्रिया बीच में रुक गई. इलाज में देरी के कारण सरफराज की हालत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई.

परिजनों के मुताबिक, सरफराज को गुरुवार को डायलिसिस के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था और शुक्रवार को डायलिसिस होना था.

सरफराज की मां सलमा ने मीडिया को बताया कि "सरफराज पिछले एक महीने से जिला अस्पताल में नियमित रूप से डायलिसिस करा रहे थे. इस दौरान डायलिसिस के बीच कई बार बिजली चली जाती थी, जिससे इलाज रुक जाता था." उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि "अस्पताल के जनरेटर में पिछले एक महीने से डीजल नहीं था."

सरफराज के बड़े भाई दिलशाद मलिक ने द क्विंट से बातचीत में बताया कि "सरफराज को पिछले एक साल से डायलिसिस की जरूरत थी और वो हर हफ्ते दो से तीन बार अस्पताल जाते थे."

"इस बार भी वो डायलिसिस के लिए गया था, लेकिन हमें पहले से ये नहीं बताया गया कि जनरेटर में डीजल नहीं है."

"अस्पताल में दवाएं नहीं, बाहर से लाना पड़ता था"

सरफराज की मां सलमा का ये भी आरोप है कि डॉक्टरों ने उन्हें जरूरी दवाएं और इंजेक्शन भी बाहर से लाने के लिए कहा क्योंकि अस्पताल में दवाएं उपलब्ध नहीं थी. "इंजेक्शन देने के बाद सरफराज को तेज बुखार आया और हालत और बिगड़ गई."

सरफराज के बड़े भाई दिलशाद कहते हैं, "जिस वक्त सरफराज की तबीयत अचानक बिगड़ी, उसकी सांसें रुकने लगी थीं. हमारी अम्मी ने डॉक्टर से इंजेक्शन देने की गुहार लगाई, लेकिन डॉक्टर ने अम्मी के साथ बदतमीजी से बात करते हुए जवाब दिया– हमारे पास इंजेक्शन नहीं है, बाहर से लाओ."

दिलशाद ने आगे बताया, "अस्पताल में न दवाइयों की व्यवस्था थी, न ही जरूरी इंजेक्शन मौजूद थे. उन्होंने कहा, "जब भी इलाज के दौरान कोई दवा या इंजेक्शन चाहिए होता था, तो स्टाफ हमें बाहर से लाने को कहता था."

जब द क्विंट ने CMO डॉक्टर कौशलेंद्र सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि यह मामला महात्मा विदुर स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का है, जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर आता है.

सरफराज की फोटो

(फोटो: द क्विंट द्वारा प्राप्त)

जांच में कई खामियां सामने आईं- जिलाधिकारी

जिलाधिकारी जसजीत कौर ने 14 जून को मीडिया को बताया कि जांच में कई खामियां सामने आईं, जैसे स्टाफ की कमी, गंदगी, और डायलिसिस विभाग में उचित व्यवस्था का अभाव. डीएम जसजीत कौर ने इस घटना को गंभीर लापरवाही माना और कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, उसे ब्लैकलिस्ट करने और मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल व सीएमएस के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है.

जिलाधिकारी ने मीडिया से कहा कि "संजीवनी प्राइवेट एजेंसी पीपीपी मोड पर डायलिसिस सेंटर चला रही थी. एजेंसी को 2020 में टेंडर मिला था, लेकिन कामकाज में कई गड़बड़ियां पाई गईं."

"बिजली जाने की स्थिति में जनरेटर में डीजल होना जरूरी था, ताकि मशीनें चलती रहें, लेकिन वहां ऐसा कोई इंतजाम नहीं था. इसी लापरवाही की वजह से एक मरीज की जान चली गई."
जिलाधिकारी

जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए कांग्रेस नेता और स्थानीय लोग.

(फोटो: द क्विंट द्वारा प्राप्त)

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कॉलेज प्रशासन ने दर्ज करवाई FIR

कॉलेज प्रशासन ने बिजनौर के थाना कोतवाली में पीपीपी मोड पर संजीवनी एस्केग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित डायलिसिस यूनिट के खिलाफ शिकायत दी थी. जिसपर 16 जून को भारतीय न्याय संहिता (BNS)-2023 की धारा 289 और धारा 106(1) के तहत FIR दर्ज किया गया है.

FIR में कहा गया है कि 13 जून को मुख्य विकास अधिकारी (CDO) और अन्य अधिकारियों ने डायलिसिस यूनिट का निरीक्षण किया था. निरीक्षण के दौरान डायलिसिस की प्रक्रिया जारी थी, तभी बिजली चली गई और जनरेटर में डीजल न होने के कारण बैकअप चालू नहीं हो सका.

FIR के अनुसार इसी कारण मरीज की तबीयत बिगड़ गई. CPR (हृदय पुनर्जीवन प्रक्रिया) देने की कोशिश की गई, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. मरीज को आपातकालीन विभाग ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. ऑन-कॉल मेडिसिन डॉक्टर ने भी मौत की पुष्टि की.

बिजनौर के थाना कोतवाली में 16 जून को FIR दर्ज हुई थी.

(फोटो: द क्विंट द्वारा प्राप्त)

पुलिस ने द क्विंट को बताया, "मामले की फिलहाल जांच की जा रही है. जो भी तथ्य और साक्ष्य सामने आएंगे, उनके आधार पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी."

मरीज की मौत के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों में आक्रोश

कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के जिला चेयरमैन वसीम अकरम (एड.) ने सोमवार को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने मौत के लिए अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए मृतक परिवार को कम से कम 20 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की है.

सरफराज के भाई दिलशाद मलिक ने द क्विंट से कहा, “सरफराज अपनी 3 साल की बेटी और डेढ़ साल के बेटे को छोड़ गया है. अब इन बच्चों का क्या होगा?” उन्होंने सरकार से मुआवजे की मांग करते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो और हमें इंसाफ मिले.”

द क्विंट ने जब CMO से पीड़ित परिवार को मुआवजा देने के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि “मुआवजा मिलेगा या नहीं, यह अभी तय नहीं हुआ है.”

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