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बिहार में जारी वोटर लिस्ट रिवीजन के कामकाज के बीच 13, जुलाई को बेगूसराय में एक बूथ लेवल अधिकारी यानी बीएलओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. बीएलओ को सस्पेंड भी कर दिया गया.
FIR के मुताबिक, बीएलओ पर निर्वाचन संबंधी गलत जानकारी देने के साथ ही विशेष गहन पुनरीक्षण के काम में लापरवाही का आरोप है. पुलिस ने लोक प्रतिनिधि अधिनियम-1950 की धारा 32 के तहत मामला दर्ज किया है.
एफआईआर और सस्पेंशन के बाद बीएलओ ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा "अधिकारियों को बचाने के लिए मुझे बलि का बकरा बना दिया गया."
उर्दू प्राथमिक विद्यालय, सलेमपुर (नूरपुर) के पंचायत शिक्षक वजाहत अली फारूकी मटिहानी विधानसभा क्षेत्र के बूथ नंबर-6 के बीएलओ थे. वोटर लिस्ट रिजीवन को लेकर एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत का वीडियो सामने आने के बाद एफआईआर हुई है.
11 कागजातों के साथ कितने फॉर्म वापस आए? इसपर वे न्यूज चैनल से कहते हैं, "कागजात के साथ बस 2-4, बाकि तो सब ऐसे ही, बिना किसी कागज के. आधार नंबर तक नहीं लिखा है."
चैनल के रिपोर्टर कहते हैं, "बाद में तो ये हुआ कि फोटो न हो तब भी ले लो (फॉर्म)? इस पर वजाहत अली कहते हैं, "अगर कोई न मिले तो खुद से साइन करके दे दो. यह भी था. मेरे पास मोबाइल में ऑफिस की रिकॉर्डिंग भी है. अगर कोई न मिले तो आप खुद से भरके दे दीजिए ऑफिस को."
AERO सह BDO अनुरंजन कुमार की शिकायत पर बेगूसराय के रिफाइनरी थाने में FIR दर्ज हुई है. शिकायत में कहा गया कि "फारूखी द्वारा बिना किसी सक्षम प्राधिकार के पूर्वानुमति के निर्वाचन संबंधी गलत जानकारी दी जा रही है, जिससे निर्वाचन की गोपनीयता भंग करने की मंशा स्पष्ट होती है."
जिला प्रशासन द्वारा जारी प्रेस नोट की कॉपी
(द क्विंट द्वारा प्राप्त)
वजाहत अली के मुताबिक, उन्होंने 1 जुलाई से पुनरीक्षण का काम शुरू किया था. इससे पहले एक दिन की ट्रेनिंग हुई थी.
वजाहत अली दावा करते हुए कहते हैं कि "मामला कोर्ट में जाने के बाद बिना किसी प्रूफ के बस फॉर्म भरवार कर अपलोड करने के लिए कहा जा रहा था."
इस मामले में फोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग भी सामने आई है. वजाहत अली का दावा है कि बीडीओ ऑफिस से उन्हें ये फोन आया था. हालांकि, जिस महिला कर्मचारी ने फोन किया था, उन्हें उनका नाम नहीं पता है.
द क्विंट के पास मौजूद रिकॉर्डिंग में महिला कर्मचारी को कहते हुए सुना जा सकता है, "जरूरी नहीं है सबके घर जाना. आपको पता है न कि आपके क्षेत्र का कौन वासी है. आप अपने राइटिंग से भरकर खुद अपलोड (फॉर्म) कीजिए."
वजाहत अली पूछते हैं कि "बिना साइन के या डिटेल्स के अपलोड करने पर दिक्कत नहीं होगी?" इसपर महिला कर्मचारी कहती हैं, "हां, वो आदमी इतना तो समझेगा न. नहीं तो उसकी नागरिकता छिन जाएगी. डीएम साहब आपको बुलाएंगे."
वे महिला कर्मचारी से आगे पूछते हैं, "आप खुद से अपलोड करने के लिए कह रही हैं." इसपर महिला कर्मचारी कहती हैं, "अरे हम, जो डॉक्यूमेंट देने से मना कर रहा है या जो बहुत आना-कानी कर रहा है- हम उसके लिए बोल रहे हैं."
वजाहत अली लगातार कहते हैं कि 1300 लोगों के सर्वे से लेकर फॉर्म भरवाने और अपलोडिंग में समय लग रहा है, जिसपर महिला कर्मचारी लगातार "दबाव" की बात कहती हैं.
इस पूरी बातचीत पर फारूकी कहते हैं कि बार-बार दबाव आने की वजह से अंत में मैंने बातचीत रिकॉर्ड कर ली थी. "मैंने उनसे कह दिया था कि ये हमसे ये नहीं हो सकता है कि बिना घूमे, बिना पूछे, अपने मन से फॉर्म भरकर आपको सब्मिट कर दें."
द क्विंट इस कॉल रिकॉर्डिंग की पुष्टि नहीं करता है. हालांकि, विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़े एक अधिकारी ने द क्विंट से कहा, "कॉल रिकॉर्डिंग की जांच की जा रही है. जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी."
बीएलओ वजाहत अली फारूकी के खिलाफ शिकायत की कॉपी
(द क्विंट द्वारा प्राप्त)
फारूकी का कहना है कि उन्होंने गलत तरीके से काम करने से मना कर दिया इस वजह से उनके खिलाफ एफआईआर और सस्पेंशन की कार्रवाई हुई है.
"मेरे जरिए गलत काम करवाना चाह रहे थे. सर्वे के दौरान मैंने 981 लोगों का फॉर्म सही से भरकर दिया. 25 मृत पाए गए. 5 डबल एंट्री वाले थे. 192 लोगों के फॉर्म बच गए. इसपर उनका (महिला कर्मचारी) कहना था कि आप घर में बैठकर 100 पर्सेंट करके दे दीजिए. जिससे मेरा इनकार था. वो मैडम बार-बार दबाव बना रही थीं," फारूकी कहते हैं.
वे आगे कहते हैं,
द क्विंट से बातचीत में अधिकारी ने बताया कि "जांच के आधार पर कार्रवाई की गई है. जांच में पाया गया कि 24 फॉर्म गलत तरीके से भरकर अपलोड किए गए थे."
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि "नए बीएलओ की नियुक्ति कर दी गई. वो फिर से घर-घर जाकर जांच कर रहे हैं. जिन लोगों के फॉर्म गलत पाए गए थे, उनको दोबारा से सही से भरवाने का काम किया गया है."
क्या फॉर्म भरवाने के दौरान वोटर्स से चुनाव आयोग द्वारा बताए गए डॉक्यूमेंट्स लिए जा रहे थे? इस पर वजाहत अली कहते हैं, "जब डॉक्यूमेंट्स ले रहे थे, तो उसमें वक्त लग रहा था. लोगों के पास पेपर नहीं थे. बाद में कहा गया कि बस साइन करवाकर फॉर्म ले लीजिए."
वे बताते हैं कि मुश्किल से 1 फीसदी लोगों ने ही उन्हें जरूरी डॉक्यूमेंट्स के साथ फॉर्म भरकर दिया. बाकि लोगों ने सिर्फ जन्म की तारीख, मोबाइल नंबर, फादर, मदर, पति-पत्नी का नाम लिखकर और साइन करके फॉर्म जमा कर दिया.
फॉर्म के साथ डॉक्यूमेंट नहीं लेने की बात पर वे कहते हैं,
वजाहत अली दावा करते हुए कहते हैं कि ब्लॉक से उन्हें इस तरह के निर्देश मिल रहे थे.
हालांकि, अधिकारी कहना है कि तमाम फॉर्म निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश के आधार पर भी भरवाए और अपलोड करवाए जा रहे हैं. "बीएलओ लोगों के घर जा रहे हैं, जिनके डॉक्यूमेंट्स रह गए हैं, उनसे डॉक्यूमेंट्स भी कलेक्ट किए जा रहे हैं. तमाम चीजों की निगरानी की जा रही है," अधिकारी ने कहा.
वजाहत अली को निलंबन के आदेश की कॉपी तक नहीं मिली है. जबकि आदेश की कॉपी वायरल हो रही है. "न तो मेरे व्हाट्सएप पर कुछ आया और न हाथ से किसी ने रिसीव करवाया. मुझे प्रधान जी का फोन आया था, जिन्होंने निलंबन की जानकारी दी. मैंने उनसे कहा कि मुझे लिखित कॉपी चाहिए," वे कहते हैं.
इसके साथ ही वे बताते हैं कि थाने ने एफआईआर की कॉपी देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद उन्होंने किसी के जरिए थाने से एफआईआर की कॉपी निकलवाई और मामले में सीजेएम कोर्ट से जमानत ले ली है.