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"मेरी बेटी के साथ रेप कर उसकी हत्या की गई है और शव को खिड़की से लटका दिया गया. मेरी बेटी को न्याय मिलना चाहिए."
यह कहना है बिहार के सासाराम निवासी एक पिता का, जिनकी 17 वर्षीय बेटी की वाराणसी के एक छात्रावास में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. मृतका एक छात्रावास में रहकर NEET परीक्षा की तैयारी कर रही थी. वाराणसी पुलिस इस मामले को आत्महत्या बता रही है, जबकि पीड़ित परिवार का आरोप है कि उनकी बेटी के साथ रेप और हत्या हुई है. पीड़ित परिवार ने अंतिम संस्कार के लिए पुलिस पर दबाव बनाने का भी आरोप लगाया है.
यह घटना 1 फरवरी 2025 की है. पिछले एक साल से वाराणसी में रहकर NEET की तैयारी कर रही 12वीं की छात्रा का शव भेलूपुर स्थित रामेश्वरम गर्ल्स हॉस्टल में संदिग्ध परिस्थितियों में मिला था. परिजनों ने हत्या का आरोप लगाते हुए 1 फरवरी को ही भेलूपुर थाना में शिकायत दर्ज कराई. मृतक छात्रा बिहार के रोहतास जिले की निवासी थी.
हालांकि, तब पुलिस ने आत्महत्या बताकर FIR दर्ज करने से मना कर दिया था. मृतका के पिता ने द क्विंट से बात करते हुए पुलिस पर आरोप लगाया कि शिकायत दर्ज कराने के बावजूद 9 दिनों तक FIR दर्ज नहीं की गई. हालांकि, 10 फरवरी को भेलपुर पुलिस ने हॉस्टल संचालक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 301(1) के तहत मामला दर्ज किया है.
एफआईआर में हुई देरी के सवाल पर द क्विंट से बात करते हुए भेलूपुर थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्रा ने बताया कि आत्महत्या से जुड़े केस में पहले हम लोग आवेदन के हर पहलू पर जांच करते हैं, उसके बावजूद अगर परिजन संतुष्ट न हो तो हम FIR दर्ज करते हैं. इस केस में भी ऐसा ही हुआ है.
मृतका की मां रोते हुए कहती हैं, "31 जनवरी की रात 10 बजे हमारी वीडियो कॉल पर बात हुई थी. अगले दिन वह घर आने वाली थी. लेकिन रात में ये घटना हो गई. साथ ही मेरी बेटी के फोन के साथ भी छेड़छाड़ किया गया. उसके मोबाइल से उसके एक दोस्त को मैसेज भेजा गया."
मृतका के पिता ने बताया कि बेटी के एक दोस्त से कॉल नहीं रिसीव करने की सूचना मिलने पर मैंने वार्डेन को कॉल किया तो पहले वो टालमटोल करती रही. फिर कहा गया कि वह बगल वाली लड़की के साथ सो रही है.
उसके बाद उन्होंने फोन बंद कर लिया. एक घंटा बाद जब फोन ऑन हुआ तो मैंने उन्हें वीडियो कॉल पर दिखाने को कहा तो तब जाकर वो गईं और बाकी लड़कियों से गेट खोलने को कहा. लेकिन खुद नहीं खोल रही थीं.
द क्विंट से बात करते हुए मृतका के पिता ने बताया कि सूचना मिलने पर हम लोग हॉस्टल पहुंचे, लेकिन हॉस्टल संचालक साक्ष्य छुपने के लिए मेरे पहुंचने से पहले ही पुलिस के साथ मिलकर शव उतार चुके थे और एम्बुलेंस तैयार कर रखा था. हालांकि, काफी नोकझोंक के बाद पुलिस ने लड़की की खिड़की से लटके हुए शरीर की कुछ तस्वीरें हमलोगों को दिया. मुझे वहां आसपास की लड़कियों से पता चला की गेट अंदर से लॉक नहीं था.
उन्होंने कहा कि रामेश्वरम पाण्डे और उनके परिवार द्वारा हॉस्टल चलाया जाता है. हॉस्टल के अंदर किसी अन्य की एंट्री की अनुमति नहीं है.
वो आगे कहते हैं, "गर्ल्स हॉस्टल के मालिक व उनके बेटे इस कुकृत्य में शामिल हैं. मेरी बेटी की गला दबाकर हत्या की गई है. हॉस्टल संचालक के बड़े पुत्र के एक बेटे का लड़कियों के प्रति सही नजर नहीं था. मेरी बेटी ने अपनी मां से एक-दो बार इसकी शिकायत की थी.
हालांकि, इन आरोपों पर थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्रा कहते हैं,
वाराणसी के शिवपुर पोस्टमॉर्टम हाउस से जारी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में फांसी के कारण दम घुटने से हुई मौत बताई गई है.
हालांकि, परिजनों ने पोस्टमॉर्टम पर भी सवाल उठाए हैं. मृतका के पिता कहते हैं, "पोस्टमॉर्टम में सिर्फ फंदे के बारे में बताया गया है, लेकिन मेरी बेटी के साथ रेप और हत्या हुई है, यह सब छुपाया जा रहा है. वहां का शासन-प्रशासन भ्रष्ट हो चुका है"
पुलिस द्वारा परिजनों को प्राप्त तस्वीर से सवाल उठ रहे हैं. परिजनों का आरोप है कि तस्वीर में शव जिस तरह खिड़की से लटका हुआ है, उससे कहीं से भी आत्महत्या से मौत नहीं लग रही है. तस्वीर में छात्रा का एक पैर जमीन पर है, वहीं दूसरा पैर बेड पर मुड़ा हुआ है. मृतका के पिता ने बताया कि तस्वीर में लड़की के गले पर उंगली का निशान है.
मृतका के पिता का आरोप है कि
मृतका के पिता आगे बताते हैं, "हम शव को अपने गांव लाना चाहते थे और अपने संस्कार के हिसाब से पूरे परिवार के सामने अंतिम संस्कार करना चाहते थे."
अंतिम संस्कार के लिए दबाव बनाने के आरोपों को थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्रा ने खारिज करते हुए द क्विंट को बताया कि
उन्होंने आगे कहा कि हमने हॉस्टल का CCTV फुटेज भी चेक की है, जिसमें हॉस्टल मालिक रात को जाने के बाद सुबह ही आए हैं. साथ ही, मेस से खाना लेकर जाने के बाद छात्रा का दरवाजा भी नहीं खुला है. बाकी मुकदमा दर्ज हुआ है, तो सभी पहलुओं पर जांच की जाएगी.
परिजनों का आरोप है कि पूरे मामले को लेकर यूपी पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही. मामले में लीपापोती का प्रयास किया गया. मृतक छात्रा के पिता कहते हैं,
सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाने को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज सिंह काका समेत तीन लोगों के खिलाफ 12 फरवरी को मुकदमा दर्ज किया गया. तीनों पर अपने पोस्ट के जरिये भ्रामक जानकारी फैलाकर पुलिस की छवि खराब करने का आरोप है.
भेलूपुर प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्रा की ओर से दर्ज एक FIR में आरोप लगाया गया कि X हैंडल पुनीत यादव समाजवादी (@punityadav-sp), मनोज काका (@manojsinghkaka) और अमित यादव (@amityadav-65) ने मामले को लेकर गलत व भ्रामक जानकारी पोस्ट की.
आरोप है कि इन पोस्ट्स में दावा किया गया कि मृतका का पोस्टमार्टम नहीं हुआ और शव परिजनों को सौंपा ही नहीं गया. पुलिस का कहना है कि इन भ्रामक तथ्यों के जरिए उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया. इस मामले में भेलूपुर थाने में बीएनएस की धारा 353(2), 356(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
नाबालिग छात्रा की संदेहास्पद स्थिति में मौत के बाद सासाराम वासियों में काफी आक्रोश व्याप्त है. 12 फरवरी को काफी संख्या में लोग एकजुट होकर शहर में कैंडल मार्च निकाला.
वहीं इस मामले में राजनीतिक दलों ने भी आवाज उठानी शुरू कर दी है. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और RLM नेता उपेन्द्र कुशवाहा समेत यूपी- बिहार के कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
16 फरवरी को औरंगाबाद सांसद अभय कुशवाहा के नेतृत्व में आरजेडी का एक प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पुलिस महानिदेशक से मिलकर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की.