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बिहार विधानसभा चुनाव के बीच द क्विंट की चुनावी यात्रा कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार के गांव बिहट, बेगूसराय पहुंची. छठ पर्व की सुबह गांव में नाश्ता और राजनीति दोनों पर चर्चा हुई — जहां कन्हैया ने बिहार की राजनीति, महागठबंधन की चुनौतियों, कांग्रेस की भूमिका और बीजेपी की रणनीति पर खुलकर बात की.
कन्हैया कुमार ने इस बार बिहार विधानसभा चुनाव न लड़ने के फैसले पर कहा,
कांग्रेस नेता कन्हैया ने महागठबंधन के अंदरूनी मतभेद और सीट बंटवारे में देरी की खबरों को "आपराधिक साजिश" और "एजेंडेट नैरेटिव" करार दिया. उन्होंने कहा,
मीडिया पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया सामान्य बातों को बहुत बड़ा बनाकर पेश करती है. कन्हैया ने दावा किया कि महागठबंधन में जितनी कलह दिखाने की कोशिश की जा रही है, लगभग उतनी ही कलह एनडीए में भी है. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी लड़ाई बीजेपी से है, यह लड़ाई दंगाइयों, देश को लूटने वालों और समाज को बांटने वालों के खिलाफ है.
बिहार कांग्रेस में उनके एक्टिव होने से कुछ नेताओं में असहजता की खबरों पर कन्हैया का जवाब था, “देखिए, ये स्वाभाविक है. किसी भी क्षेत्र में जब नया आदमी आता है तो पहले से जमे लोगों को असहजता होती है. चाहे राजनीति हो या सिनेमा, पुराना स्टार नए को देखकर परेशान होता है.लेकिन इसे ओवरहाइप कर दिया जाता है. सच तो यह है कि हर व्यक्ति की भूमिका सीमित होती है.”
इस बार कांग्रेस के कम सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर उन्होंने कहा,
2020 के चुनाव में कांग्रेस को ‘कमजोर कड़ी’ कहे जाने पर कन्हैया बोले, “69 सीटों पर लड़कर 19 जीतने का आंकड़ा अधूरा है. हर सीट का स्थानीय समीकरण, एनडीए के भीतर चिराग पासवान की भूमिका और वोट बंटवारे का असर देखना जरूरी है. गलत डेटा के आधार पर कांग्रेस को दोष देना सही नहीं है. कांग्रेस को ‘राजनीतिक बहाना’ बना दिया गया है. अगर कांग्रेस कुछ नहीं है तो उसके बारे में इतनी बहस क्यों? और अगर है, तो फिर सहयोगी भी मान रहे हैं कि कांग्रेस ज़रूरी है.”
बिहार के सत्ता समीकरण पर कन्हैया कुमार ने कहा,
उन्होंने कहा कि बीजेपी की रणनीति हमेशा “दोहरे लाभ” वाली रही है —
“नीतीश जी को मुख्यमंत्री बनाना बीजेपी के लिए मजबूरी रही है. वे 2020 में भी उन्हें खत्म करना चाहते थे, आज भी वही कोशिश चल रही है.”
बीजेपी में एंट्री: कन्हैया कुमार ने साफ कहा कि वह कभी भी भारतीय जनता पार्टी में नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा,
प्रशांत किशोर (PK) पर कन्हैया ने स्पष्ट किया कि उन्हें प्रशांत किशोर या जन स्वराज की तरफ से कोई ऑफर या बातचीत नहीं हुई. उन्होंने बताया कि वह पीके से तब मिले थे जब उन्होंने अपनी पार्टी नहीं बनाई थी.
कन्हैया कुमार का मानना है कि इस बार बिहार के वोटर अप्रत्याशित रूप से चुप हैं, जो आमतौर पर बिहारियों का स्वभाव नहीं होता. उन्होंने कहा कि यह चुनाव स्टेट वाइज नहीं, बल्कि सीट वाइज है. कन्हैया ने चेताया कि इस चुनाव को लेकर कई भविष्यवाणी गलत साबित होंगी, क्योंकि लोग सिर्फ पॉलिटिकल एंटी इनकंबेंसी देख रहे हैं, जबकि सोशल एंटी इनकंबेंसी को नजरअंदाज कर रहे हैं.
“कांग्रेस सामूहिकता में विश्वास रखती है”
मुख्यमंत्री या डिप्टी सीएम के चेहरे पर कांग्रेस की चुप्पी पर कन्हैया ने कहा, “कांग्रेस परंपरागत रूप से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करती, चाहे गहलोत हों या भूपेश बघेल. हम गठबंधन में हैं और वहां चेहरा पहले से तय था — तेजस्वी यादव. कांग्रेस ने उस फैसले का सम्मान किया.”