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कौन कहता है कि आपको हर बार कुछ मीठा खाने की अपनी इच्छा को दबाना जरूरी है? मैं तो सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि आप अपनी पसंद को लेकर बस थोड़ा सा स्मार्ट हो जाएं. चीनी को हाल-फिलहाल के दिनों में हेल्थ के लिए सबसे हानिकारक माना गया है, इतना कि इसके सामने अब फैट यानि वसा भी पीछे छूट गया है.
माॅडर्न लाइफ स्टाइल के कारण होने वाली बीमारियों का मुख्य कारण अब चीनी को ही माना जाने लगा है. और ये काफी हद तक सही भी है. क्योंकि हाल के सालों में किए गए रिसर्च में यह पाया गया है कि डायबिटीज और मोटापा जैसी समस्याओं के अलावा चीनी का संबंध हाई ब्लडप्रेशर, चर्बीयुक्त लीवर, मुहांसे, सेल्युलाइट और कमजोर इम्यूनिटी से भी जुड़ा हुआ है.
तो क्या इसका मतलब ये निकाला जाए कि हमें हर मीठी चीज को खाना पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए? और अगर कोई पूरी तरह से स्वस्थ है तो क्या उसे भी स्वस्थ रहने के लिए मीठा या मिठाई खाना पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए?
नहीं, ऐसी जरूरत बिल्कुल नहीं कि आप मीठे की तरफ पूरी तरह से उदासीन हो जाएं. क्योंकि आप जितना मिठाई से दूर भागेंगी उतनी ही आप उसके बारे में सोचती रहेंगी. आपको सिर्फ कुछ नियमों का पालन करना है, और ऐसा करने में आपकी मदद के लिए हम यहां मौजूद हैं.
यहां आपको स्मार्ट होने की जरुरत है. अपनी चाय-कॉफी में चीनी की जगह हनी या गुड़ का इस्तेमाल करें. इन दोनों ही चीजों में चीनी की तुलना में एंटी ऑक्सिडेंट्स और मिनरल्स ज्यादा मौजूद होते हैं, फिर चाहे वो काफी कम मात्रा में ही क्यों न हो.
आइये हम बताते हैं कि ये कैसे मुमकिन हो सकता है. जब भी कोई मिठाई खाने में लें तो हमेशा ये ध्यान रखें कि उसमें फैट और कैलोरी के अलावा कुछ हेल्दी तत्व भी मौजूद हो. वैसी मिठाई बिल्कुल न खाएं जो चीनी, मैदा, मक्खन और फैट का मिक्सचर हो.
मान लीजिए कि आपको रसगुल्ला और गुलाब जामुन में से कोई एक मिठाई चुनना है. अब, दोनो ही मिठाई में कैलोरी और चीनी की मात्रा बराबर होती है, लेकिन चूंकि रसगुल्ला छेना का बना होता है तो वो आपको दूध में पाये जाने वाले हेल्दी तत्व जैसे प्रोटीन और कैल्शियम भी देगा. इस तरह से ये हर मायने में एक गुलाब जामुन से बेहतर ऑप्शन है जो सिर्फ चीनी और फैट से बना एक बॉल होता है.
ठीक इसी तरह अगर आपको फ्रूट कस्टर्ड और जलेबी में से कोई एक चीज चुननी हो तो कस्टर्ड बेहतर आॅप्शन है. इसी तरह अंजीर और खोए की बर्फी में चुनने की नौबत आने पर आपको अंजीर की बर्फी ही चुननी चाहिए क्योंकि उसमें कैल्शियम और फाईबर अच्छी मात्रा में मिलती है.
हम कितनी मात्रा में मीठा खाते हैं, इसको कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी है. आपका पहला कौर आपको मिठाई का टेस्ट देता है, दूसरा आपकी मीठा खाने की इच्छा को संतुष्ट करता है और तीसरा कौर तो पर्याप्त होता है. इसलिए इसके बाद अगर आप मीठा खाना जारी रखते हैं तो सिर्फ लालच है और कुछ नहीं!
मान लीजिए कि आप किसी बुफे पार्टी में गए हैं, तो खुद की प्लेट में एक छोटा चम्मच मिठाई सर्व करें और मिठाई की टेबल से काफी दूर जाकर अपना खाना खाएं. ये थोड़ा सा पेचीदा हो सकता है लेकिन कारगर होता है.
अपने लिए मिठाई बनाना भी एक अच्छा आइडिया है. हम मिठाई दुकान से जो भी खरीदते हैं उसपर ऊपर से बहुत सारी मीठी चीजें, केमिकल और रिफाईंड तत्व डाले जाते हैं. लेकिन जब हम खुद अपने हाथों से घर पर मिठाई बनाते हैं तो हम उसमें अपने हिसाब से टेस्ट और हेल्थ के अनुसार बदलाव ले आते हैं और उसमें चीनी और तेल या मक्खन डालते वक्त अपना हाथ रोक भी सकते हैं.
खाने के अंत में, फल एक परफेक्ट और रेडीमेड मिठाई है. वो हमारी शुगर क्रेविंग्स या मीठा खाने की ललक को तो शांत करते ही हैं, कैलोरी की दृष्टि से भी फायदेमंद और हमारे शरीर को एंटी ऑक्सिडेंट्स देते हैं. फ्रूट खाने के कई फायदे हैं जिससे हम सभी वाकिफ हैं.
नाशपाती हर किसी की एक स्वाभाविक पसंद है. न सिर्फ उसकी खुशबू और स्वाद बहुत अच्छी होती है बल्कि वो हमारे मुंह में काफी अच्छे से घुलता है. नाशपाती में लेवुलोज पाया जाता है, जो दुनिया में पाए जाने वाले सभी तरह की चीनी में सबसे मीठा पाया गया है. ये हमारी स्वीट टूथ को बहुत अच्छी तरह से संतुष्ट भी करता है.
ऐसा ही एक दूसरा फल है लीची जो मिठाई का काफी अच्छा आॅप्शन माना गया है. बीज को निकालकर फ्रीज किया गया लीची किसी भी तरह की चीनी युक्त मीठे से हजार गुणा बेहतर है. अगर आप इसको और टेस्टी बनाना चाहते हैं तो ये ट्राई करें. लीची का बीज निकाल लें, उसमें हल्का मीठा छेना भर लें, फिर उसे ठंडा कर खाएं. ये फाइबर, न्यूट्रीएंट्स, कैल्शियम और प्रोटीन का बेहतरीन मिक्सचर है और एक परफेक्ट डेजर्ट भी.
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