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आपकी मेंटल हेल्थ के इलाज में थेरेपी और मेडिसिन दोनों का अपना महत्व है. हमने जिन एक्सपर्ट से बात की वह ऐसा नहीं मानते कि थेरेपी मेडिसिन से बेहतर है, या मेडिसिन थेरेपी से बेहतर है.
बल्कि यह आपकी हालत, हालात और मेंटल हेल्थ के लिए सही कॉम्बिनेशन या जरूरत पर निर्भर करता है.
याद रखें यह गाइड बुक प्रोफेशनल मेडिकल सलाह की जगह नहीं ले सकती है.
कोई भी ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले हमेशा डॉक्टर और मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से सलाह लें.
लेकिन इसके साथ ही आइए इस असमंजस को दूर करें, जिसका आप सामना कर रहे हैं कि कौन सा विकल्प चुनना है- थेरेपी या मेडिसिन?
किसी प्रोफेशनल से सलाह लें. यही यह जानने का इकलौता तरीका है कि आपको क्या चाहिए.
(फोटो: iStock)
छोटा जवाब तो यह है कि आप नहीं तय कर सकते हैं. इकलौता शख्स जो आपको यह बताने के लिए प्रशिक्षित है कि आपको थेरेपी या मेडिसिन किसकी जरूरत है वह है मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल.
लंबा जवाब यह है कि इसका फैसला कई बातों से होता है - आपकी बीमारी की प्रकृति, बीमारी की गंभीरता, आपको कितने समय से बीमारी है, और ऐसे ही तमाम दूसरे सवाल.
यह तय करने के लिए कि कौन सा तरीका आपके लिए सबसे फायदेमंद होगा, आपको अपने लक्षणों को समझना होगा- क्या आपको नींद नहीं आ रही है? क्या आपकी भूख मर गई है? क्या आपके मन में खुदकुशी के ख्याल आते हैं?
हमने फोर्टिस हॉस्पिटल में मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंस के डायरेक्टर डॉ. समीर पारिख से बात की.
इसलिए भले ही आप तय नहीं कर सकते कि आपको किस ट्रीटमेंट की जरूरत है, मगर आप यह तय सकते हैं कि कब मदद लेनी है, और इस पर कैसे आगे बढ़ना है.
जितना जल्दी हो सके.
जैसे ही आपको लगे कि अपनी जिंदगी पर आपका नियंत्रण नहीं रह गया है, वैसे ही शुरू कर दें
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बदकिस्मती से मेंटल डिसऑर्डर में दर्द की ऐसी साफ निशानियां नहीं होती हैं. अगर आपकी परेशानी बीमारी बनने लगी है, तो यह जानने का सबसे तेज तरीका किसी एक्सपर्ट से बात करना ही है.
एक डिसऑर्डर (disorder) या बीमारी वह है, जो आपके रोजमर्रा के कामकाज में रुकावट डालती है.
क्या आप सो नहीं पा रहे हैं? क्या आप बिस्तर से उठकर अपना ख्याल नहीं रख पा रहे हैं? क्या आपको भूख नहीं लगती है?
हम सभी की जिंदगी में निराशा आती है, लेकिन जब यह निराशा स्थायी हो जाती है और आपके रोजमर्रा के कामकाज में रुकावट डालना शुरू कर देती है, तो यह एक बीमारी बन जाती है.
कहने की जरूरत नहीं है कि इस हालत पर पहुंचने या इससे पहले, और इसके बाद भी (जैसा कि आमतौर पर होता है) मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मिलना सबसे बेहतर है.
अपनी मेंटल हेल्थ की केयर के लिए फैसला करना कठिन है.
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हर शख्स अलग होता है और अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है, लेकिन आमतौर पर मेडिसिन ज्यादा गंभीर मामलों में आपको सामान्य रखने और कामकाज करने में मदद कर सकती है, जबकि थेरेपी बीमारी की बुनियादी वजह को ठीक कर केयर में मददगार हो सकती है.
एक उदाहरण लेकर कहें तो, टूटे पैर पर मेडिकेशन के तौर पर प्लास्टर की कल्पना करें, और थेरेपी में फिजियोथेरेपी और लाइफस्टाइल में बदलाव और सेहतमंद रहने के दूसरे तौर-तरीके अपनाए जाएं, जो आपके पैर को तय समय में पूरी तरह ठीक कर देंगे.
आपकी मेंटल हेल्थ की देखभाल फ्री-साइज मोजे जैसी नहीं है- ऐसा कोई साइज नहीं है, जो सबको ठीक आ जाए. और कोई एक विकल्प दूसरे से बेहतर या बुरा नहीं है. आपके लिए कारगर और कुछ मामलों में ट्रीटमेंट का सही कॉन्बिनेशन खोजने की जरूरत है.
आपकी बीमारी की गंभीरता के हिसाब से थेरेपी एक धीमी प्रक्रिया हो सकती है. यह आपको बीमारी से फौरन राहत नहीं दे सकती है- चाहे वह एन्जाइटी (anxiety), पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) या डिप्रेशन (depression) हो.
अपने थेरेपिस्ट से ईमानदारी और साफगोई रखें. थेरेपी के लिए ढेर सारे सवाल साथ लेकर जाएं.
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अपने थेरेपिस्ट से जितना हो सके बात करें. एक शख्स के तौर पर उन्हें खुद को समझाएं- आपका सदमा, आपकी खुशियां, आपके गम, सब कुछ. थेरेपिस्ट को आपको समझने के लिए सारी बातें उसके सामने रख दें.
सही मेडिकेशन किसी की जिंदगी बचा सकता है.
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जहां तक मेडिकेशन की बात है- यह आपके हालात और खास दशा पर निर्भर करती है.
अलग-अलग मेडिसिन आपकी ब्रेन केमेस्ट्री पर अलग तरह से असर डालती हैं. आप जो मेडिसिन लेते हैं, शुरुआत में उसके आधार पर आपको कई तरह की भावनाओं का अनुभव हो सकता है. यह आमतौर पर प्रक्रिया का एक हिस्सा होता है, जब आप कोई नई मेडिसिन शुरू करते हैं.
आप शारीरिक रूप से कैसा महसूस करेंगे इस सवाल का कोई जवाब नहीं है. कुछ मामलों में आप मेडिकेशन के पहले दिन से बेहतर महसूस कर सकते हैं, दूसरे मामलों में आप जो मेडिसिन ले रहे हैं, आपके शरीर को उनसे फायदा होने में हफ्तों लग सकते हैं. जरूरी बात यह है कि अपनी मेडिसिन लगातार लेते रहें और डॉक्टर के इलाज पर सख्ती से अमल करें.
आपका डॉक्टर जानता है कि आपके लिए सबसे बेहतर क्या है. अपनी मेडिसिन अपने आप लेना बंद न करें, और हर हाल में अपने डॉक्टर की राय लिए बिना इसे अचानक बंद न करें.
इसके बुरे नतीजे हो सकते हैं और कुछ मामलों में खतरनाक भी हो सकते हैं. अपने डॉक्टर या थेरेपिस्ट को बताएं कि आपको किस तरह की बेचैनी होती है और फिर वो जैसा कहते हैं, वैसा ही करें.
थेरेपी और मेडिकेशन में खर्च की तुलना कर पाना मुश्किल है.
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किसी नतीजे पर पहुंचने और पक्के तौर कह पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि इन आंकड़ों का दायरा बहुत बड़ा है. ज्यादा जरूरी सवाल यह है कि आपको क्या चाहिए?
उदाहरण के लिए, अगर आप गंभीर और नियमित क्लीनिकल डिप्रेशन के मरीज हैं, तो आपको तेज असर वाली मेडिसिन और थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है. अगर आप सिर्फ वक्ती हल्के डिप्रेशन का अनुभव कर रहे हैं, तो थेरेपी के कुछ सेशन के बाद आप ठीक हो सकते हैं.
कहने का मतलब यह है कि खर्च आपके डॉक्टर के तय ट्रीटमेंट पर निर्भर करता है, और अगर आपको मेडिकेशन की जरूरत है, तो आपकी थेरेपी पर किया कोई भी खर्च आपकी हालत में सुधार नहीं लाएगा बल्कि इसका उलटा भी हो सकता है.
आपको उस ट्रीटमेंट की जरूरत है, जो आपके लिए जरूरी है, न कि उस ट्रीटमेंट की जो तेज है.
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जरूरी नहीं कि एक विकल्प दूसरे की तुलना में तेज काम करे. थेरेपी कभी-कभी एक लंबी प्रक्रिया जैसी महसूस हो सकती है क्योंकि यह आपकी मेंटल हेल्थ समस्या की बुनियादी वजह को ठीक करने की कोशिश करती है.
उदाहरण के लिए, अगर आप PTSD का शिकार हैं, तो आपको अपने पिछले सदमे और पैटर्न की पहचान करने और उनका इलाज करने के लिए थेरेपी का लंबा दौर चलाना पड़ सकता है, साथ ही आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में राहत देने के लिए साथ में मेडिसिन ले सकते हैं.
ऐसे में मेडिसिन आपको बीमारी से राहत दिला सकती है और आपको रोजमर्रा के कामकाज करने में मदद करती है, जबकि थेरेपी आपकी बीमारी की स्थायी वजहों को दूर करने में मदद करती है.
तो मुद्दा यह है कि आपको असल में क्या चाहिए. क्या तेज है यह नहीं.
मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर के इलाज में मेडिकेशन के बारे में कई मिथक हैं.
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अगर आप ट्रीटमेंट की शुरुआत करने जा रहे हैं और आपको मेडिसिन लेने की सलाह दी जाती है, तो आप डर सकते हैं या झिझक सकते हैं. आप पहले ऐसे शख्स नहीं होंगे और पक्के तौर पर अंतिम भी नहीं होंगे.
मेडिसिन लेने के बारे में आम आशंकाओं में यह डर शामिल है कि आप “ड्रैकुला जैसी” हालत में पहुंच जाएंगे, या कि आप मेडिसिन पर निर्भर हो जाएंगे या इसके आदी हो जाएंगे. यहां तक कि यह भी माना जाता है कि दवा लेने से “कमजोरी” आ जाती है.
डॉ. श्रीविद्या आगे कहती हैं, “आप नहीं जानते कि “ड्रैकुला की तरह” दिखने का किसी शख्स के लिए क्या मतलब हो सकता है. हो सकता है यह उनके लिए ठीक सेहत का मामला हो. आप उनके हालात और दशा को नहीं जानते हैं.
इससे पहले कि हम अंतिम नतीजे पर पहुंचें, याद रखें कि इकलौता शख्स जो आपको पक्के तौर पर बता सकता है कि आपको क्या करना चाहिए, एक लाइसेंस प्राप्त मेडिकल प्रोफेशनल है. किसी साइकोथेरेपिस्ट या साइकियाट्रिस्ट से बात करें और उसकी सलाह पर अमल करें.
इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखें, और वह मदद हासिल करें जिसकी आपको जरूरत है, न कि वह मदद जो आपको लगता है कि आपके लिए सही है. अगर अभी भी कोई सवाल मन में है, तो हमें बेझिझक fit@thequint.com पर लिखें.
(अगर आप या आपका कोई जानने वाला मुश्किल में है और मदद की जरूरत है, तो प्लीज रहमदिली के साथ पेश आएं और स्थानीय इमरजेंसी सेवाओं, हेल्पलाइन और मेंटल हेल्थ एनजीओ के नंबरों पर कॉल करें)
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