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एक वायरल मैसेज में दावा किया गया है कि Caripill नाम की दवा डेंगू ठीक कर सकती है. इसमें यहां तक कहा गया है कि ये दवा 48 घंटों में डेंगू ठीक करती है.
इस तरह का दावा कई साल से सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म्स पर किया जा रहा है. हालांकि इस तरह के दावे जिन खबरों या रिपोर्ट्स के आधार पर किए गए हैं, उनमें डेंगू को ठीक करने की बात बिल्कुल भी नहीं थी.
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुरनजीत चटर्जी इस तरह के दावे से इनकार करते हैं.
उत्तर प्रदेश के देवरिया में वैद्य और आयुर्वेद में एमडी डॉ आर अचल के मुताबिक भी 48 घंटे में डेंगू ठीक नहीं किया जा सकता है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक कैरिपिल को बेंगलुरु की एक फार्मा कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड ने साल 2015 में लॉन्च किया था. इसके टैबलेट और सीरप आते हैं और इसमें पपीते की पत्तियों का अर्क होता है. caripillmicro.com के मुताबिक ये डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मददगार होता है, बता दें कि यहां डेंगू ठीक करने का दावा नहीं किया गया.
जर्नल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन्स ऑफ इंडिया पर आई दो क्लिनिकल ट्रायल की स्टडीज में ये पाया गया था कि इसके प्रयोग से प्लेटलेट काउंट बढ़ा, लेकिन इसमें में भी डेंगू ठीक करने की बात नहीं कही गई है.
हालांकि ये स्टडीज उन पेशेंट्स पर नहीं हुईं, जिनके प्लेटलेट काउंट गंभीर रूप से कम हो गए हों और न ही ट्रांसफ्यूजन थेरेपी लेने वाले मरीजों से तुलना की गई.
डॉ अचल कहते हैं कि आयुर्वेद के किसी प्राचीन किताब में पपीते की पत्तियों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, पपीते के फल या जड़ का जिक्र जरूर है. पपीते के पत्तों को एक ट्रेडिशनल ट्रीटमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया गया, इससे प्लेटलेट्स काउंट घटने की स्पीड कम हो सकती है, लेकिन डेंगू ठीक नहीं हो सकता है. हालांकि पपीते की पत्तियों से बेहतर काम करने वाली चीजें भी हैं.
डॉ चटर्जी के कहते हैं कि पपीते के पत्तों को लेकर काफी दिनों से बातें हो रही हैं, लेकिन ये कितनी कारगर हो सकती है, इस बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं है.
डेंगू का कोई खास इलाज नहीं है, एलोपैथी में हाई फीवर, डिहाइड्रेशन और दूसरे कॉम्प्लिकेशन की रोकथाम और कंट्रोल पर ध्यान दिया जाता है. इसी तरह आयुर्वेद भी शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने और तेज बुखार को कंट्रोल करने पर फोकस करता है.
डॉक्टर्स कहते हैं कि इस तरह के मैसेज पर बिल्कुल भरोसा नहीं करना चाहिए, मॉर्डन मेडिसिन हो या आयुर्वेद मरीज के लिए एक्पर्ट्स की देखरेख में सपोर्टिव केयर की जरूरत होती है.
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Published: 14 Aug 2019,05:42 PM IST