Home Hindi Fit कोरोना का कहर|जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन: पहले केस से लेकर अब तक का सफर
कोरोना का कहर|जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन: पहले केस से लेकर अब तक का सफर
भारत में कोविड-19 का पहला कंफर्म केस मिले 1 साल का वक्त गुजर चुका है, एक नजर बीते साल पर
देवीना बक्शी
फिट
Updated:
i
30 जनवरी 2020 को भारत के केरल में पहला COVID मरीज मिला था.
(फोटो: फिट हिंदी)
✕
advertisement
(नोवल कोरोना वायरस SARS-CoV-2 ने हमारी दुनिया बदल दी, और जैसे-जैसे हम कोरोना से जूझते रहे हैं,फिटकोरोना के कारणलॉकडाउन के एक साल होने पर इस वीडियो को फिर पब्लिश कर रहा है.)
(वीडियो एडिटर- आशुतोष भारद्वाज)
भारत में पहले कोविड-19 मामले की पुष्टि हुए एक साल हो गया है. यहां उन हेल्थकेयर हीरोज और उनके बिताए पूरे एक साल पर एक नजर डालते हैं जिन्होंने हमारी सुरक्षा के लिए जोर लगा दी.
डॉ कामना कक्कड़ कहती हैं, '' साल की शुरुआत तबाही से हुई थी."
“मुझे तब तक नहीं लगा कि इसकी मार मुझपर पड़ी है और ये बात कितनी विनाशकारी और अभूतपूर्व है, जब तक मैं एक ऐसे मरीज के संपर्क में नहीं आया जो पॉजिटिव था और मैंने अपनी सुरक्षा के लिए पर्याप्त गियर नहीं पहना था.”
निखिल धिमोले, जनरल सर्जरी रेजिडेंट, जेजे हॉस्पिटल- मुंबई
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
30 जनवरी 2020 को जब भारत के केरल में पहला COVID मरीज मिला तब हमें ऑफिशियली पता चला कि महामारी हमारे दहलीज के अंदर आ चुकी है.
रेजिडेंट डॉक्टर्स एक्शन में आ गए, अपने भारी-भरकम पीपीई किट और फेल होते अस्पताल के सिस्टम के बीच मामलों में भारी उछाल देखा.
“उन पीपीई को 6-6 घंटे, लंबे समय तक पहनना, जबकि हर ड्रेसिंग के लिए 30 मिनट लगते हैं. इससे डिहाइड्रेशन हो जाता था. हम 6-8 लंबे घंटों तक खाना नहीं खाते थे और हम पूरी तरह से थक जाते थे लेकिन हमारे पास किट बदलने का कोई विकल्प नहीं था और हम वॉशरूम का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे क्योंकि हम पीपीई किट की भारी कमी का सामना कर रहे थे.”