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आपकी चिंता करने की आदत कहीं कोई मानसिक समस्या तो नहीं?  

सात बातें जो इशारा करती हैं कि आपकी चिंता और तनाव किसी मानसिक समस्या का रूप तो नहीं ले रहे हैं.

निकिता मिश्रा
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एक गहरी सांस सब कुछ ठीक
नहीं कर सकती. (फोटो: iStock/TheQuint)
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एक गहरी सांस सब कुछ ठीक नहीं कर सकती. (फोटो: iStock/TheQuint)
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तनाव आज हर किसी के जीवन का हिस्सा है. कोई भी चिंता से बच नहीं सकता है. लेकिन अगर तनाव आपकी दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करने लगे तो यह कहीं अधिक गंभीर स्थिति है.

करीब 1.5 करोड़ भारतीय आज तनाव और अवसाद संबंधी मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. निमहैंस के शोध की मानें तो 18 साल की उम्र से पहले लगभग हर पांच में से एक किशोर अवसाद से जूझता है.

अगर आप अधिक तनाव महसूस कर रहे हैं तो जरूरी नहीं कि यह मानसिक समस्या हो मगर अगर आप लगातार तनावग्रस्त रहते हैं और दिनों-दिन स्थिति बिगड़ती ही जाती है तो जरूर आपको मदद की जरूरत है.

इन सात संकेतों से जानिए की कहीं आपकी चिंता और तनाव किसी मानसिक समस्या का रूप तो नहीं ले रहे हैं.

आप अगर हर समय आपका दिल तेज़ धड़क रहा है, पेट में तितलियाँ उड़ रही हैं (और यह प्यार नहीं है), तो यह चिंता की बात हो सकती है. (फोटो: क्विंट)

2. आप अधिक बेचैन और अधीर रहने लगें

तो खाली हाथ शैतान का खिलौना होते हैं. (फोटो: क्विंट)

“घबराओ मत,” ऐसा लगभग हर अभिभावक कहता है. लेकिन क्या आप वाकई बोरिंग दिनचर्या से घबराते हैं? घबराएं मत, अधीरता एक बायोलॉिजकल प्रक्रिया है जिससे शरीर की 350 अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती हैं. कई बार दफ्तर में बहुत अधिक काम और थकान के कारण भी बेचैनी हो जाती है.

दिक्कत तब है जब सुबह उठते ही आपको बेचैनी महसूस हो या हाथ हिलाने तक के लिए आपको जोर लगाना पड़े. ऐसे में डॉक्टरी परामर्श की आवश्यकता है.

बार-बार नाखून चबाना

यह सच नहीं कि चिंता को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है या यह बस एक खत्म हो जाने वाला दौर है. (फोटो: क्विंट) 

वैसे तो यह बुरी आदतों में शुमार है लेकिन यह कई बार मानसिक समस्या का संकेत भी हो सकता है.

वैसे मुंह में नाखून डालने का संबंध असुरक्षा की भावना से जोड़ा जाता है लेकिन अगर आफ इतने नाखून चबाएं कि उनसे खून ही आने लगे तो इसे गंभीरता से लें और डॉक्टर से मिलें.

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4. अगर बहुत डरते हैं

डरना सामान्य है, पर हमेशा डरते रहना नहीं. (फोटो: क्विंट)

बचपन में ज़ी हॉरर शो देखकर डरना अलग बात है लेकिन अगर आपके दिमाग में हमेशा किसी न किसी तरह का डर बना रहता है तो इसे गंभीरता से लें.

मसलन, दरवाजा लॉक किया या नहीं, हमको ध्यान है कि बंद किया है फिर भी बार-बार चेक करना. क्या होगा कि अगर मुझे कुछ हो जाए और किसी को पता न चल सके?

कुछ अजीब सी आवाज थी, हवा तो नहीं हो सकती? इस तरह के वहम अगर आपकी जिंदगी का हिस्सा हो जाएं.

5. सामाजिक नहीं हो पाते हैं

सामाजिक चिंता सिर्फ लोगों के डरने से कहीं ज्यादा जटिल है. (फोटो: क्विंट)

पार्टी में असहज महसूस करने जैसी स्थिति तो हम सभी के साथ कभी न कभी होती है. इसमें चिंता वाली कोई बात नहीं है. लेकिन लोगों से मिलने-जुलने में भी आपको अगर इस बात का डर लगे कि कोई आपके बारे में क्या सोच रहा है तो अलर्ट हो जाएं.

भीड़ में हमेशा बेचैन रहना और खुद को अलग-थलग कर लेना चिंता और अवसाद का संकेत हो सकता है.

कई बार ये संकेत मानसिक न होकर शारीरिक भी हो सकते हैं. ऐसे में तनाव से बुखार, शरीर का ठंडा पड़ना, सीने में दर्द या जलन, सांस लेने में दिक्कत या सिरदर्द जैसे लक्षण भी हो सकते हैं. ऐसे में डॉक्टरी परामर्श जरूरी हो जाता है.

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