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क्लीन ईटिंग (clean eating) खानपान की एक पद्धति है, जिसमें प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का कम से कम इस्तेमाल किया जाता है.
‘क्लीन फूड’ ताजा फल और सब्जियां, फलिया, नट्स, सीड्स और साबुत अनाज जैसे खाद्य पदार्थों पर केंद्रित होता है. इसमें सोडियम की मात्रा पर नियंत्रण रखा जाता है और शुगर व मीट का सेवन कम किया जाता है.
पेश है ऐसे ही 15 फूड आइटम्स की लिस्ट:
एडिबल फ्लार्स सिर्फ डिश या व्यंजन को सजाने या उन्हें अलग दिखाने के लिए नहीं हैं. अब इससे आगे सोचने का समय आ गया है. खाने को नया रंग-रूप देने के साथ ही ये स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद हो सकते हैं.
इसके अलावा इनमें फाइबर होता है और वहीं फैट बिल्कुल शून्य होता है. ये दोनों चीजें संतुलित खाने के हिसाब से बेहतर होती हैं.
केले के फूल, बरिज (नीले फूलों वाला पौधा जिसकी पत्तियों का सलाद में प्रयोग किया जाता है), गुलाब, गेंदा, कैमोमाइल और लैवेंडर कुछ बेहतर विकल्प हैं, जिन्हें खाने में प्रयोग किया जा सकता है.
ज्यादातर शहरी इलाकों में मशरूम एक पॉपुलर हेल्थ फूड है, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में मशरूम आज भी सामान्य भोजन में शामिल नहीं किया जाता. विश्वास कीजिए, अब बदलाव का समय आ गया है. मशरूम को नकारने का मतलब है स्वास्थ के कई गुणों वाले भोजन को खोना.
जो काम मीट कर सकता है, वह टोफू भी कर सकता है. यह अनेक गुणों वाला खाद्य पदार्थ है.
प्रोटीन का अच्छा स्रोत होने के साथ ही यह आयरन, कैल्शियम और मैग्नीज, सेलेनियम और फॉस्फोरस जैसे कई तरह के मिनरल्स का बेहतर स्रोत है. ये फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भी भरपूर होता है.
दूध से जमाई गई दही में दो विशिष्ट प्रकार के बैक्टीरिया - स्ट्रेप्टोकस थर्मोफीलस और लैक्टोबैसिलस बुल्गारिकस पाए जाते हैं. यह आवश्यक रूप से हमारे मुख्य भोजन, लंच और डिनर दोनों का हिस्सा होना चाहिए.
दही, कैल्शियम और प्रोटीन के अच्छे स्रोत होने के साथ ही आंत के लिए भी फायदेमंद है. लेकिन जहां तक संभव हो घर में ही जमाई दही का प्रयोग करें.
अगर आप टमाटर खाने के पहले से शौकिन नहीं हैं तो अपनी पसंद को बदलें. रिसर्च के मुताबिक टमाटर में पाया जाने वाला लाइकोपीन (जो टमाटर में भरपूर होता है) का संबंध दिल की बीमारियों की रोकथाम से है.
कूटू या फाफरा वास्तव में एक अनाज नहीं बल्कि एक बीज है. जापानियों ने इसे एक प्रकार के नूडल्स (सोबा) में बदल दिया, लेकिन भारत में हम इसे अधिकतर आटे के रूप में ही प्रयोग करते हैं.
चना फाइबर से भरपूर होता है, कम मात्रा में ही इसका सेवन करने से आपका पेट भर सकता है. रिसर्च में यह पाया गया है कि चना खाने के बाद स्नैक्स की तलब कम होती है. ये शरीर में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम रखता है, इस वजह से यह हार्ट के लिए बहुत हेल्दी है.
चुकंदर में बीटेन एंटीऑक्सीडेंट भी पाया जाता है, जो कि एंटी इन्फ्लेमेटरी गुणों वाला है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखता है.
पालक के हरे पत्तों को भले ही सबसे कम तवज्जो दी जाती है. लेकिन पालक न सिर्फ प्रोटीन का बड़ा स्रोत है बल्कि इसमें व्यापक रूप से एंटीऑक्सीडेंट भी मिलता है.
दो कैरोटेनॉइड्स- ल्यूटिन और ज़ियेजैंथिन आंखों की रोशनी के लिए अच्छा होता है.
शिमला मिर्च में मेटाबॉलिज्म बढ़ाने वाल तत्व डाइहाइड्रोकैप्सिएट पाया जाता है. जो आपको पतला होने में मदद करता है.
स्वास्थ्य के लिहाज से ब्राउन राइस एक बेहतरीन विकल्प है. इसे अंकुरित करने से फायदे और भी बढ़ जाते हैं.
चावल को अंकुरित करने से उसमें फाइबर की मात्रा बढ़ जाती है और ग्लाइसेमिक इंडेक्स (डायबिटीज से बेहतर तरीके से लड़ने में मददगार) कम हो जाता है. यह दिल की बीमारी के खतरे को कम करने और अवसाद व थकान से लड़ने में भी मददगार होता है.
सब्जी और अनाज के रूप में उपयोग होने वाला चौलाई सबसे अधिक प्रोटीन वाला पौधा आधारित भोजन है.
सत्तू एक हाई एनर्जी और प्रोटीन फूड है. जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, आयरन, कैल्शियम, वसा और विटामिन जैसे सभी आवश्यक तत्वों का बेहतरीन मिश्रण है.
कटहल प्राकृतिक रूप से वजन कम करने में मददगार भोजन है, यदि इसे सही तरीके से लिया जाए.
इसके अतिरिक्त इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है जो लंबे समय तक पेट भरे होने का अहसास देता है. इसमें रेसवेरेट्रोल एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो वास्तव में वजन कम करने में महत्वपूर्ण है. इसे बिना तले ही खाएं.
बेरीज को अपने एंटी ऑक्सीडेंट स्तर के कारण दुनियाभर में इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन स्वदेशी बेरीज, जिसे रसभरी कहते हैं, उनमें भरपूर एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं.
(कविता देवगन एक वेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट, न्यूट्रिशनिस्ट, हेल्थ कॉलमिस्ट और ‘Don’t Diet! 50 Habits of Thin People’ किताब की लेखिका हैं. )
Published: 12 Sep 2018,12:15 PM IST