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सिगरेट महंगी होगी, लेकिन क्या इससे धूम्रपान कम होगा? हमने डॉक्टरों से पूछा

1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सिगरेट पर कस्टम ड्यूटी में 16% की बढ़ोतरी की घोषणा की.

गरिमा साधवानी
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>बजट में&nbsp;सिगरेट पर कस्टम ड्यूटी में 16% की बढ़ोतरी की घोषणा.</p></div>
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बजट में सिगरेट पर कस्टम ड्यूटी में 16% की बढ़ोतरी की घोषणा.

(फोटो:द क्विंट)

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बुधवार, 1 फरवरी को यूनियन बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023 के लिए सिगरेट पर कस्टम ड्यूटी में 16% की बढ़ोतरी की घोषणा की.

इसका तत्काल प्रभाव यह हुआ कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में आईटीसी, गोल्डन टोबैको, एनटीसी इंडस्ट्रीज, वीएसटी इंडस्ट्रीज और गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया के शेयरों में गिरावट आई.

लेकिन क्या ग्राउंड-लेवल पर इसका कोई असर पड़ेगा? क्या सिगरेट की कीमत और खपत के बीच कोई संबंध है? फिट ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से पूछा.

क्या बढ़ी हुई लागत से धूम्रपान कम होगा?

डॉ विनीत कौल, एसोसिएट कंसल्टेंट- द ऑन्कोलॉजी सेंटर, सी के बिरला अस्पताल, गुरुग्राम, को लगता है कि बढ़ी हुई लागत एक अच्छा कदम है. वे बहुत निश्चित नहीं हैं कि क्या यह लोगों को धूम्रपान करने से हतोत्साहित कर सकता है.

वह कहते हैं:

"मुझे नहीं लगता कि धूम्रपान करने वालों की संख्या कम हो जाएगी या किसी के द्वारा धूम्रपान की जा रही सिगरेट की संख्या कम हो जाएगी. क्योंकि अगर किसी के पास हर दिन सिगरेट पर खर्च करने के लिए 100 रुपये हैं, तो उसके पास इस पर खर्च करने के लिए 120 रुपये भी होंगे. बढ़ी कीमत बड़ा अंतर लाने के लिए पर्याप्त नहीं है. लेकिन शायद यह लोगों के दिमाग में धूम्रपान के जोखिम को सामने ला सकता है.”

इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट ओंको-सर्जरी एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन, मेदांता रोबोटिक संस्थान, मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम के अध्यक्ष डॉ. अरविंद कुमार, डॉ. कौल से सहमत हैं. उन्हें लगता है कि हालांकि यह एक हद तक काम कर सकता है, लेकिन नशे की लत से ग्रस्त व्यक्ति न्यूनतम मूल्य वृद्धि के कारण धूम्रपान बंद नहीं करेगा.

हालांकि, इस विषय पर किए गए बहुत से अध्ययन एक अलग दृष्टिकोण रखते हैं.

टोबैकोनॉमिक्स पर 2016 का एक ब्लॉग, जो द इफेक्ट ऑफ सिगरेट प्राइसेज ऑन सिगरेट सेल्स: एक्सप्लोरिंग हेटेरोजेनेइटी इन प्राइस इलास्टिसिटीज ऐट हाई एण्ड लो प्राइसेज नामक एक अध्ययन पर आधारित है, कहता है, "सिगरेट कीमतों में 10% बढ़ोतरी से सिगरेट की खपत में औसतन 3.1% की कमी आती है."

वास्तव में, 2004 में ताइवान में किए गए एक सर्वे पर आधारित स्टडी में कहा गया है:

"धूम्रपान करने वाले पुरुष जिनकी कोई आय नहीं थी या जो लाइट सिगरेट पीते थे, सिगरेट की कीमतों में बदलाव के प्रति अधिक संवेदनशील पाए गए."
द इफेक्ट ऑफ सिगरेट प्राइस इंक्रीज ऑन द सिगरेट कंजम्शन इन ताइवान: एविडेंस फ्रॉम द नेशनल हेल्थ इंटरव्यू सर्वेज ऑन सिगरेट कंजम्शन

तो क्या ये स्टडी बताते हैं कि सिगरेट की कीमतें बढ़ने पर लोग धूम्रपान कम कर देते हैं? हां और नहीं दोनों.

जबकि कुछ स्टडीज के अनुसार कीमत बढ़ने पर लोग कम धूम्रपान करते हैं, दूसरों ने दिखाया कि वे बस एक सस्ते ब्रांड पर शिफ्ट हो जाते हैं.

"सिगरेट की उच्च कीमतों के परिणामस्वरूप सिगरेट की खपत में कमी आई है लेकिन कीमत के प्रति संवेदनशील धूम्रपान करने वाले कम कीमत वाले या कर-मुक्त सिगरेट स्रोतों की तलाश कर सकते हैं, खासकर यदि वे आसानी से उपलब्ध हों.”
हायर सिगरेट प्राइसेज इन्फ्लुएन्स सिगरेट परचेज पैटर्न्स
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क्या धूम्रपान हमारे हेल्थकेयर सिस्टम पर बोझ है?

हां, बहुत बड़ा. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने 2019 में खुलासा किया था कि तंबाकू देश में सभी कैंसर के मामलों के 30% (या एक तिहाई) से अधिक के मुख्य कारणों में से एक है. यह आंकड़ा पुरुषों में अधिक था - पुरुषों में 48.7 कैंसर तंबाकू से जुड़े थे और महिलाओं में केवल 16.5 प्रतिशत.

2012-19 के बीच भारत में कैंसर के 13,32,207 मामले सामने आए. यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार, भारत में दुनिया में धूम्रपान करने वालों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है.

डॉ. कौल कहते हैं:

"धूम्रपान न करने वाले की तुलना में धूम्रपान करने वाले को कैंसर होने की संभावना 15-25 % अधिक होती है."

सिर्फ कैंसर ही नहीं, बल्कि फेफड़ों की बीमारी या दिल की बीमारी जैसी अन्य बीमारियां भी आमतौर पर धूम्रपान करने वालों के लिए घातक हो जाती हैं.

डॉ. कुमार बताते हैं कि धूम्रपान आपके होंठ, गाल, जीभ, गले, फेफड़े और यहां तक ​​कि आपके पेट के अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

लखनऊ यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अरविंद मोहन ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि भारत में तंबाकू की खपत हमारे GDP के लगभग 1.04 प्रतिशत का बोझ डालती है.

वास्तव में धूम्रपान को कैसे कम करें

डॉ. कौल का सुझाव है कि संस्थागत स्तर पर सरकार को स्वास्थ्य क्षेत्र को इस तरह से मजबूत करना चाहिए कि अधिक से अधिक तंबाकू और कैंसर जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए जाएं.

उन्होंने कहा कि धूम्रपान को हतोत्साहित करने के लिए लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने का भी प्रयास किया जाना चाहिए.

व्यक्तिगत स्तर पर, डॉ. कौल सुझाव देते हैं कि धूम्रपान करने वालों को पूरी तरह से दवा या निकोटीन सप्लिमेंट पर निर्भर रहने के बजाय धूम्रपान छोड़ने के लिए इच्छा शक्ति बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए और जरूरत पड़ने पर मनोवैज्ञानिक या तंबाकू समाप्ति विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए.

डॉ. कुमार यह भी कहते हैं कि सहायता समूहों से जुडने और यहां तक ​​कि अपने आस-पास के व्यक्तियों से समर्थन मांगने से भी आपको धूम्रपान छोड़ने में मदद मिल सकती है.

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