advertisement
दावाः सोशल मीडिया पर एक मैसेज फॉरवर्ड किया जाता रहा है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि एप्पी फिज से कैंसर होता है. कोका-कोला / पेप्सी पीने के बाद मेंटोस खाने से आपके पेट में सायनाइड बनता है और कुरकुरे में प्लास्टिक है.
शायद इस मैसेज की प्रमाणिकता बढ़ाने के लिए इसमें डॉ अंजलि माथुर, चेयरमैन व सीईओ, इंडो अमेरिकन हॉस्पिटल (IAH), साउथ डकोटा, अमेरिका का नाम जोड़ दिया गया है.
मैसेज पुराना है और कम से कम 2015 से ही यह सर्कुलेशन में है. इसके अलावा, बार-बार इस मैसेज की असलियत बताई गई है.
आइए एक-एक करके हर दावे की बात करते हैं.
एक इंडियन फूड सेफ्टी साइट, फूडनेट के अनुसार, Appy Fizz एक हेल्थ ड्रिंक नहीं है क्योंकि यह एक कार्बोनेटेड सोडा है. हालांकि, इसका कैंसर से कोई संबंध नहीं पाया गया है.
मिथकों का पर्दाफाश करने वाली साइट HoaxorFact ने Appy Fizz बनने में प्रयोग की जाने वाले सामग्रियों की लिस्ट तैयार की. इसमें भी वहीं पाया गया, जो दूसरे सोडा में था. इसमें कैंसर कारक कुछ भी नहीं था.
हालांकि, Appy Fizz या इसकी मूल कंपनी, Parle-G, ने इसके बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.
फिट से बात करते हुए, मैक्स हॉस्पिटल में सीनियर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ अश्विनी सेतिया ने कहा, ‘चूंकि पेप्सी और कोका कोला की तरह इस Fizzy ड्रिंक में प्रयोग किए जाने वाले इंग्रेडिएट्स और कैमिकल का खुलासा नहीं किया गया है. ऐसे में ये कहना मुश्किल है कि इसमें कैंसर कारक तत्व है या नहीं. पेप्सी और कोका कोला का इंग्रेडिएंट्स एक रहस्य बना हुआ है.’
यह एक पुरानी अफवाह है, इससे जुड़ा एक वायरल वीडियो है, जिसमें दो प्रोडक्ट्स को मिलाकर 'ज्वालामुखी' बनता दिखाया गया है.
जबकि ध्यान देने योग्य बात है कि जब केमिकल रिएक्शन होता है, तो दोनों उत्पादों को मिलाकर सायनाइड नहीं बनता है.
यह फर्जी खबर इतनी लोकप्रिय हुई कि डिस्कवरी का मिथबस्टर्स भी इसकी जांच करने के लिए तैयार हो गया.
मिथबस्टर्स से बात करते हुए, फिजिसिस्ट टोनी कोफी ने कहा कि इसमें स्ट्रॉन्ग केमिकल रिएक्शन होता है, लेकिन यह इतना पर्याप्त नहीं है कि आपके शरीर को कोई नुकसान पहुंचा सके.
यह एक पुरानी अफवाह है, जो गलत साबित हो चुकी है. यह फिर से उठी है.
वास्तव में, जून 2018 में, दिल्ली हाईकोर्ट ने कुरकुरे की मूल कंपनी पेप्सिको के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इस प्रस्ताव में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को उन ‘फेक न्यूज’ को हटाने की बात थी, जिसमें पेप्सिको के चिप्स में प्लास्टिक होने की बात कही गई थी.
पेप्सिको के एक प्रवक्ता ने 2018 में क्वार्ट्ज से कहा, ‘फेक न्यूज में कहा गया है कि कुरकुरे में प्लास्टिक है. इससे ब्रांड की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. सोशल मीडिया पर घूम रही ऐसी फेक और बदनाम करने वाले कॉन्टेंट के कारण पेप्सिको इंडिया दिल्ली हाईकोर्ट जाने के लिए मजबूर था. ब्रांड इक्विटी की रक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है, यह एक ऐसा मामला जिसे हम पेप्सिको में बहुत गंभीरता से लेते हैं.’
यह झूठ की ताकत ही थी, जिसने कंपनी को कुरकुरे की पैकेजिंग को फिर से डिजाइन करने के लिए मजबूर किया. इसमें कुरकुरे में प्रयोग होने वाली सामग्रियों की जानकारी को प्रमुखता से दर्शाया गया.
(आप ऑनलाइन आने वाली पोस्ट या जानकारी के बारे में आश्वस्त नहीं हैं और इसे वेरिफाइड करना चाहते हैं? हमें इसे व्हाट्सएप नंबर 9910181818 पर डिटेल्स भेजें, या हमें webqoof@thequint.com पर ई-मेल करें. हम आपके लिए इसकी जांच करेंगे.)
Published: 20 May 2019,02:56 PM IST