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अल्जाइमर से निपटने के लिए क्या कहता है आयुर्वेद?

आयुर्वेदाचार्य से जानिए अल्जाइमर से निपटने के आयुर्वेदिक तरीके.

सुरभि गुप्ता
फिट
Updated:
आयुर्वेदाचार्य से जानिए अल्जाइमर से निपटने के आयुर्वेदिक तरीके
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आयुर्वेदाचार्य से जानिए अल्जाइमर से निपटने के आयुर्वेदिक तरीके
(फोटो: फिट/इरम गौर)

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कैमरा: शिवकुमार मौर्य

वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

अल्जाइमर रोग दिमाग की एक ऐसी बीमारी है, जो धीरे-धीरे पेशेंट की याददाश्त, बोलने, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता को खत्म कर देती है.

समय के साथ अल्जाइमर के लक्षण बदतर होते जाते हैं. अल्जाइमर डिजीज को रोका या ठीक नहीं किया जा सकता है, इसमें दिमाग की क्षति को धीमा करने की कोशिश की जाती है.

फिट ने जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर और आयुर्वेदाचार्य डॉ प्रताप चौहान से मुलाकात के दौरान पूछा कि क्या आयुर्वेद में अल्जाइमर का जिक्र है, अल्जाइमर के उपचार में क्या किया जाता है और सबसे जरूरी इससे बचने के लिए क्या किया जा सकता है.

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क्यों बढ़ रहे हैं अल्जाइमर के मामले?

डॉ चौहान ने बताया कि अल्जाइमर रोग के मामले भारत सहित दुनिया भर में बढ़ रहे हैं. उनके मुताबिक हमारा बिगड़ता खान-पान और जीने का तरीका इसके पीछे जिम्मेदार है.

आजकल एक चीज तो सबको क्लियर है कि जो हमारा सोशल सिस्टम था, वो काफी ज्यादा गड़बड़ हो गया है. अकेलापन बढ़ गया है, तनाव बढ़ गया है, कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं है. इसका असर भी हमारे दिमाग पर पड़ता है.
डॉ चौहान

क्या कहता है आयुर्वेद?

डॉ प्रताप चौहान कहते हैं, ‘आयुर्वेदिक भाषा में अल्जाइमर और इस तरह के रोग दिमाग में वात का प्रकोप यानी प्राण वात का बिगड़ना है, जिससे दिमाग में ड्राइनेस यानी खुश्की हो जाती है.’

स्मृतिभ्रंश करके एक शब्द आता है, जिसका मतलब है मेमोरी लॉस हो जाना. उसके कारण ब्रेन के लेवल पर देखें तो दिमाग के अंदर जो मेमोरी के सेंटर्स हैं, वहां किसी तरह की कमजोरी हम कह सकते हैं.
डॉ चौहान

अल्जाइमर से बचाव के लिए खाने की चीजें

लुब्रिकेशन का बहुत महत्व है, भोजन में हमें लुब्रिकेटेड फूड खाना चाहिए. अच्छे घी का सेवन करना चाहिए.
इसके अलावा बादाम, अखरोट, ये बहुत अच्छा काम करते हैं.

7-8 बादाम, 2-3 अखरोट रात को पानी में भिगोएं. सुबह उसको छीलकर सेवन करें या उसे पीसकर दूध में मिलाकर भी पी सकते हैं.

आयुर्वेद में अल्जाइमर रोग का मैनेजमेंट

आयुर्वेद में इसे मन, शरीर, इमोशन हर लेवल पर समझने की कोशिश की जाती है.  पेशेंट की क्या सिचुएशन है, उसकी आयु कितनी है, उसका मनोबल कैसा है, उसका अग्निबल कैसा है, उसकी इम्यूनिटी पावर कैसी है. ये सब समझकर व्यक्तिगत प्रिस्क्रीप्शन बनाया जाता है.

आयुर्वेद में मेद्य रसायन लिखे हैं, जैसे ब्राह्मी, शंखपुष्पी, अश्वगंध, वच. इन जड़ी बूटियों के सेवन से हमारी मेधा शक्ति, हमारी मेमोरी पावर, इच्छाशक्ति और मेंटल पावर बढ़ती है.
डॉ चौहान

इसमें पंचकर्म चिकित्सा काफी प्रभावी होती है. सिर में मालिश करने से फायदा होता है, शिरोधारा, नस्या यानी नाक में बादाम का तेल या घी डालना और काउंसलिंग भी अल्जाइमर के उपचार में शामिल है.

इस तरह आयुर्वेद में अल्जाइमर या इस तरह की ब्रेन से जुड़ी बीमारियों का ट्रीटमेंट होता है.

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Published: 24 Sep 2019,08:14 PM IST

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