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जय जवान जय किसान: किसानों की समस्याएं, मिट्टी से जुड़ा मामला है

किसान भरोसा करके अपना वोट भी नेताओं को दे आता है. अब किसान का वोट पाकर राजनेता मंत्री बन जाता है.
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किसान. अन्नदाता. या यूं कहें कि देश का भाग्यविधाता. ये शब्द सही मायने में किसान के लिए फिट बैठते हैं.
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(Photo: Saumya Pankaj/The Quint)
किसान. अन्नदाता. या यूं कहें कि देश का भाग्यविधाता. ये शब्द सही मायने में किसान के लिए फिट बैठते हैं.
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किसान. अन्नदाता. या यूं कहें कि देश का भाग्यविधाता. ये शब्द सही मायने में किसान के लिए फिट बैठते हैं. जब चुनाव आने वाले होते हैं, तो राजनेता चुनाव में किसानों के आसरे बाजी लगाते हैं. वे किसानों को वादों से रिझाते हैं और किसान लुभावने वादों में खो जाते हैं.

किसान भरोसा करके अपना वोट भी नेताओं को दे आता है. अब किसान का वोट पाकर राजनेता मंत्री बन जाता है. मंत्री न सही, कम से कम चुनाव जीतकर सांसद या विधायक तो बन ही जाता है.

अब वादा निभाने की जिम्मेदारी होती है मंत्री, सांसद या विधायक बन चुके नेता की. अब वो नेता सिस्‍टम का हिस्सा हो जाता है. अब किसानों की समस्या तो किसान खुद ही झेलेंगे. पर सब खेल यहीं से शुरू होता है.

मंत्री खुद न तो अर्थशास्त्री है, न ही खेती-किसानी की समस्याओं का विशेषज्ञ. तो वह राजनेता किसानों को ध्‍यान में रखकर नीतियां बनाएगा नहीं. अब नीतियां बनाने की जिम्मेदारी सरकार कुछ एक्‍सपर्ट के कंधों पर डाल देती है.

अब वह विशेषज्ञ अच्छा अर्थशास्त्री तो होता है, विदेश की नामी यूनिवर्सिटी से पढ़ा-लिखा भी होता है, पर उसने केवल कागजों पर ही काम किया होता है.

लेकिन किसानों की समस्याएं तो कागजी नहीं हैं न! ये तो पक्‍के तौर पर अपनी मिट्टी और जमीन से जुड़ा मामला है.

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(This article was sent to The Quint by Ashok Kumar for our Independence Day campaign, BOL – Love your Bhasha. Ashok is a student of IIT Roorkee

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Published: 02 Aug 2017,04:24 PM IST

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